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बलिया। आज का कार्तिक पूर्णिमा का सृष्टि के आरंभ से ही इस तिथि का खास महत्व रहा है. सिर्फ वैष्णवों और शैवों के लिए ही नहीं, वरन सिखों और जैनियों के लिए भी. अभी आपने देवोत्थानी एकादशी मनाई थी. उस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जागे थे. कहते हैं कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन उन्होंने पालनकर्ता के रूप में अपनी पूरी जिम्मेदारी उठा ली थी. इस दिन विष्णु जी ने पहला यानी मत्स्य अवतार लिया था. इसी दिन शंकर जी ने त्रिपुरासुर राक्षस का संहार किया था. जिससे वे त्रिपुरारी कहलाए. इसी कारण से कुछ जगह इस तिथि को त्रिपुर पूर्णिमा भी कहते हैं.
कार्तिक पूर्णिमा में स्नान का बड़ा महात्म्य ह. स्नान गंगा में हो पाए तो सर्वोत्तम, नहीं तो किसी भी नदी और सरोवर में करना भी उत्तम है. मजबूरी में घर पर स्नान भी कर सकते हैं, पर इसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिला लें तो पुण्य मिलता है.
कैसे करें गंगा स्नान
कार्तिक पूर्णिमा की स्नान के सम्बन्ध में ऋषि अंगिरा ने लिखा है-इस दिन सबसे पहले हाथ-पैर धो लें फिर आचमन करके हाथ में कुश लेकर स्नान करें. यदि स्नान में कुश दान करते समय हाथ में जल व जप करते समय संख्या का संकल्प नहीं किया जाये तो कर्म फलों से सम्पूर्ण पुण्य की प्राप्ति नहीं होती है. दान देते समय जातक हाथ में जल लेकर ही दान करें. स्नान करने से असीम पुण्य मिलता है गृहस्थ व्यक्ति को तिल व ऑवले का चूर्ण लगाकर स्नान करने से असीम पुण्य मिलता है. विधवा तथा सन्यासियों को तुलसी के पौधे की जड़ में लगी मिट्टी को लगाकर स्नान करना चाहिए. इस दौरान भगवान विष्णु के ऊं अच्युताय नमः, ऊं केशवाय नमः, ऊॅ अनंताय नमः मन्त्रों का जाप करना चाहिए. कार्तिक पूर्णिमा को ये उपाय करने से मां लक्ष्मी होगी. प्रसन्न पूर्णिमा मां लक्ष्मी को अत्यन्त प्रिय है. इस दिन मॉ लक्ष्मी की आराधना करने से जीवन में खुशियों की कमी नहीं रहती है. पूर्णिमा को प्रातः 5 बजे से 10: 30 मिनट तक मॉ लक्ष्मी का पीपल के वृक्ष पर निवास रहता है. इस दिन जो भी जातक मीठे जल में दूध मिलाकर पीपल के पेड़ पर चढ़ाता है उस पर मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है. कार्तिक पूर्णिमा के गरीबों को चावल दान करने से चन्द्र ग्रह शुभ फल देता है. इस शिवलिंग पर कच्चा दूध, शहद व गंगाजल मिलकार चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते है. कार्तिक पूर्णिमा को घर के मुख्यद्वार पर आम के पत्तों से बनाया हुआ तोरण अवश्य बॉधे. वैवाहिक व्यक्ति पूर्णिमा के दिन भूलकर भी अपनी पत्नी या अन्य किसी से शारीरिक सम्बन्ध न बनायें वरना चन्द्रमा के दुष्प्रभाव आपको व्यथित करेंगे.
आज दिन ढले चन्द्रमा के उदय होने के पश्चात उसे निम्न मंत्र के साथ अर्घ्य दें-
वसंतबान्धव विभो शीतांशो स्वस्ति न: कुरु
इसके बाद खीर में मिश्री व गंगा जल मिलाकर मां लक्ष्मी को भोग लगाकर प्रसाद वितरित करें. कार्तिक पूर्णिमा का महत्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन व्रत, स्नान-दान करने से असीम पुण्य मिलता है.
यह दिन व्रत-उपवास का है. कुछ लोग दिन भर कुछ नहीं खाते तो कुछ लोग एक समय भोजन करते हैं. शास्त्रों में सामर्थ्य भर उपवास की अनुमति है. हां, निषेध इतना है कि नमक का सेवन न करें. इस दिन हो सके तो ब्राह्मणों को दान दें और भूखों को भोजन कराएं. आप अपनी सामर्थ्य अनुसार गाय का दूध,केला, खजूर, नारियल, अमरूद आदि फलों का दान भी करना चाहिए. बहन, बुआ आदि को कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान करने से अक्षय पुण्य मिलता है.
कार्तिक पूर्णिमा का दूसरा महत्व यह है कि इसी दिन पहले गुरु नानक देव का जन्मदिन है. सिख समुदाय के लोग सुबह नहा-धो कर गुरुद्वारे जा कर गुरुवाणी सुनते हैं. इस त्योहार को गुरु पर्व भी कहा जाता है.
कार्तिक पूर्णिमा जैन धर्मावलम्बियों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसी दिन प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ ने पालिताना की पहाड़ियों पर प्रथम धर्म संदेश दिया था. जैनी इस दिन बड़ी संख्या में गुजरात में अहमदाबाद के पास स्थित पालिताना जाकर भगवान आदिनाथ की पूजा करते हैं.
इस बार कार्तिक पूर्णिमा का एक महत्व और है. और वह है कि इस पूर्णिमा को उदय होने वाला चंद्रमा बहुत बड़ा दिखेगा. इतना बड़ा चंद्रमा इसके बाद 70 साल बाद ही दिखाई देगा.