​जिलाधिकारी के निर्देशों के बावजूद भी धड़ल्ले से चल रही शराब की दुकान

दुकान बंद कराने के लिए चार बार सैकड़ों महिलाओं ने किया धरना प्रदर्शन 

उठ रहे सवाल आखिर इन दुकानों के पीठ पर कौन है वह मजबूत हाथ जो डीएम व सांसद के निर्देशों पर भारी है

बैरिया (बलिया)। जिलाधिकारी द्वारा लाल बालू व हाट निरीक्षक के लालगंज गोदाम पर औचक निरीक्षण व कार्यवाही की चर्चा रातो रात द्वाबा के गावों मे पहुची.  चर्चा भोजापुर गाँव मे भी होने लगी. ऐसे में उस गाँव की महिलाओं ने किसी भी तरह की कार्यवाही होने पर अविश्वास जाहिर किया. उनका मानना है कि इस निरीक्षण व कार्यवाही के आदेश के पीछे कुछ और बात हो सकती है. उनके पास अपनी बातों को सच साबित कराने के लिये तर्क भी है.  भोजापुर निवासी सुगन्ती देवी, मुन्नी देवी और कलावती देवी का कहना है कि पिछले मुख्य तहसील दिवस पर हम लोगों के धरना के समय स्वयं इसी जिलाधिकारी महोदय ने बैरिया भोजापुर मार्ग पर चलने वाली शराब की दुकानों को एक सप्ताह के अन्दर अन्यत्र हटवाने का आदेश दिया था. तब सांसद भरत सिंह ने भी हम सब की गुहार पूरी करने के लिये जिलाधिकारी से कहा था. लेकिन दो माह बीतने को आये शराब की दुकानें अभी भी वहीं चल रही हैं.  हम लोगों  की समस्या जस की तस बनी हुयी है.  वही उस आन्दोलन में शामिल चन्दा देवी, मीरा देवी का कहना था कि अगर जांच व कार्यवाही में वास्तव में  सच्चाई है तो हम लोगों के मामले मे दिया गया आदेश क्यो नहीं मान्य हुआ. सवाल उठाया कि आखिर उन दुकानों के पीछे कौन सा ऐसा मजबूत हाथ है जिसके चलते सांसद व जिलाधिकारी के निर्देशों का भी पालन नहीं हुआ.

बताते चलें कि हाइवे से 100 मीटर की परिधि मे आने वाली शराब की दुकाने उच्चतम न्यायालय के आदेश से हटाई गयी. उसी क्रम में बैरिया कस्बे की सरकारी देशी व अंग्रेज़ी शराब की दुकाने बैरिया-भोजापुर मार्ग पर चली गयी. जिस दिन दुकान वहां लगी उसी दिन वहां के लोगों ने वहां दुकान नही लगाने का यह कहते हुये विरोध किया कि यहाँ आधा दर्जन शिक्षण संस्था है. घरेलू आबादी है, कई गावों के महिलाओं का आना जाना है. तब तकरार हुयी. पुलिस पहुची और दुकानदारों की तरफ से कुछ लोगों पर मुकदमा कराकर मामले को दबा दिया गया. शराब की दुकान चलने लगी.  उधर शराब पीने आने वाले लोग राह गुजरती महिलाओं व लडकियों पर छींटाकसी करने लगे. धीरे धीरे बात फैलने लगी. ऐसे मे मई माह में  भोजपुर, लक्ष्मीपुर, सावनछपरा, बेचनछपरा आदि गाँवो की महिलायें एक जुट होकर हाथ में  डंडा व झाड़ू लेकर बैरिया में जुटी और तिराहे पर चक्का जाभ कर दी. फिर तहसील पर जाकर एसडीएम को पत्रक देकर दुकानों को हटवाने की मांग की. तब उन्हें आश्वासन दिया गया था कि जांच कर एक सप्ताह में समाधान कर लिया जायेगा. दुकान न हटने पर पुनः महिलाएं उसी अंदाज़ मे 16 जून व फिर 28 जून को बैरिया तहसील पर धरना प्रदर्शन किया. दोनो बार वही आश्वासन. फिर मुख्य तहसील दिवस पर महिलाएं इकट्ठा होकर जिलाधिकारी का घेराव कर दी. सांसद भरत सिंह ने जिलाधिकारी से इस समस्या के समाधान के लिये कहा. जिलाधिकारी ने वहां से दुकान शीघ्र हटाने का निर्देश दिये और दुकानदारो को एक दो सप्ताह जब तक नयी जगह तलाशने का समय लगे उस पूरे मार्ग पर पुलिस ड्यूटी लगाने का भी निर्देश दिये. बात एक दो सप्ताह की थी. दो महीने बीत गये. दो चार दिन पुलिस की ड्यूटी चली फिर वह भी समाप्त हो गयी. शराब की दुकाने उसी जगह दिशा बदल कर चल रही है. उधर गांवो की महिलाओं मे सरकार के प्रति अविश्वास बढ़ा है. वह इस बार किसी निर्णायक आन्दोलन की तैयारी में है.जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों के प्रति उनमें गुस्सा व अविश्वास भरता जा जा रहा है.

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