धनुष यज्ञ मेला- सियासी गलियारे में विधायक की अनुपस्थिति पर बतकुचन

बैरिया (बलिया) से वीरेंद्र नाथ मिश्र

virendra_nath_mishraसंत सुदिष्ट बाबा के धनुष यज्ञ मेले में पहले दिन लगने वाले परंपरागत राजनीतिक शिविरों में इस बार समाजवादी पार्टी व बहुजन समाजवादी पार्टी का शिविर नहीं लगा. वैसे तो यहां हर साल मेले में राजनीतिक शिविर लगाए जाते हैं, लेकिन चुनावी वर्ष में यह शिविर खास होता है. सिर्फ कांग्रेस व भारतीय जनता पार्टी ने अपना अपने शिविर लगाए.

सपा व बसपा द्वारा मैदान छोड़ना चर्चा- ए -खास रहा. कांग्रेस कैंप से नोटबंदी व क्षेत्रीय विधायक पर वक्ता हमलावर कर रहे तो भाजपा कैंप के लोग मेले में जुटी भीड़ का नोटबंदी के मुद्दे पर मूड को भांप इस मुद्दे पर बोलने से बचे. दोनों कैंप से वक्ता समाजवादी पार्टी के विधायक को अनुपस्थिति के लिए जमकर आड़े हाथों लिए. एक वक्ता ने क्षेत्रीय विधायक को इतवार को आने वाला इतवारी विधायक कहा. वक्ताओं ने विधायक को द्वाबा  के परंपरा,  संस्कृति और विकास के मामलों का तिरस्कार करने वाला कहा.

यहां 18 अगस्त बैरिया शहीद स्मारक वह धनुष यज्ञ मेला के राजनीतिक मंच पर अनुपस्थिति पर यह सवाल खड़ा किया कि वह यहां की उम्मीदों पर कैसे खरे उतर सकते हैं. वहीं कांग्रेस व भाजपा के आमने-सामने लगे शिविर व एक दूसरे के आमने सामने लगे ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से एक दूसरे पर भी व्यंग्य बाण छोड़े. भाजपा के मंच से पूर्व विधायक विक्रम सिंह, सुरेंद्र सिंह, बबन सिंह रघुवंशी, जय प्रकाश नारायण सिंह, पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष विजय बहादुर सिंह, रमाकांत पांडेय, भीम सिंह आदि तो दूसरी तरफ कांग्रेस के मंच से प्रभात सिंह, सुनील सिंह पप्पू, मुक्तेश्वर सिंह, श्रीनाथ सिंह चौहान, एचएन सिंह, खजांची राय आदि प्रमुख वक्ता रहे.

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उल्लेखनीय है कि संत सुदिष्ट बाबा के धनुष यज्ञ मेला में प्रथम दिन सभी राजनीतिक दलों का शिविर लगाने की परंपरा आजादी के पहले से ही है. आजादी के पहले भी लोग शिविर लगाते थे, तब मेले में आए लोगों की सहायता के साथ क्रांतिकारियों के विचार सुने जाते थे तथा आजादी हासिल करने की रणनीति सार्वजनिक की जाती थी. आजादी के बाद भी यह परंपरा कायम रही. विभिन्न राजनीतिक दल मेले में आए लोगों का सहयोग वह अपने दल पार्टी के सिद्धांतों विचारों को मेले में आए लोगों को बता कर अपने दल की ओर आकर्षित करने की कोशिश होती रही हैं.

पदेन विधायक यहां के इस आयोजन में अपने हर आवश्यक कार्य को छोड़कर यह निश्चित तौर पर उपस्थित होते रहे हैं. चुनावी वर्ष में तो यहां के राजनीतिक शिविर और भी महत्वपूर्ण मानी जाती है. लेकिन इस साल सपा व बसपा का मैदान छोड़ना क्षेत्र में इस रूप में चर्चा में है कि अपने पार्टी की सभा में यह लोग कुछ भी करें, कुछ भी बोल लें, लेकिन मेले के शिविर जैसे सार्वजनिक जगह जहां हर दल व विचारों के लोग नेताओं को सुनने के लिए इकट्ठा होते हैं, वहां इन लोगों के पास कहने लायक कुछ भी नहीं है.

 

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