हिन्दू सनातन धर्म आधिरित विवाह एक संस्कार है, यह समाज के कल्याणार्थ बंधन है : शक्तिपुत्र महाराज

सुखपुरा(बलिया)। विवाह एक धार्मिक संस्कार है. यह अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए नहीं बल्कि समाज के कल्याण के लिए किया जाता है. इसका बहुत ही सुन्दर प्रमाण शिव विवाह के प्रसंग मे मिलता है. सती के मरने के बाद शिवजी का पुनर्विवाह कराने के लिए प्रेरित करने गये कामदेव जी को जलाने के बाद देवताओं ने जब शिवजी को विवाह करने के लिए तैयार कर लिया फिर कामदेव को जलाने का कारण पूछा तो शिवजी ने हंसते हुए जवाब दिया कि मैं यदि काम के कहने से विवाह के लिए तैयार हो जाता तो यह संसार मुझ पर हंसता,  और कहता कि शिव जी भी काम के बस में होकर विवाह करने चले गए. इसलिए पहले मैंने काम को जला दिया, फिर जनकल्याण के लिए विवाह के लिए तैयार हुआ हूं. शिव विवाह का यह प्रसंग ग्राम भरखरा और आसन के बीच जटहवा बाबा के स्थान के पास चल रहे 11 दिवसीय  अभिषेकात्मक रुद्र महायज्ञ के छठवे दिन हो रहे प्रवचन में श्री श्री 108 बाल संत श्री शक्ति पुत्र जी महाराज ने कथा प्रसंग मे बताया. नित्य की भांति यज्ञ के सातवें दिन पंण्डित अभिषेक शास्त्री और मोहन शास्त्री तथा अन्य आचार्यो के मंत्रोचार द्वारा हवन पुजन हुआ, और अयोध्या से पधारे राम लीला मंणडल द्वारा सीता विवाह का सुन्दर प्रस्तुती की गयी.

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