वाराणसी। उत्तर प्रदेश में मानसून की मेहरबानी जारी है और पिछले 24 घंटों के दौरान प्रदेश के पूर्वी हिस्सों में ज्यादातर स्थानों पर बारिश हुई. आंचलिक मौसम केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के पूर्वी भागों में मॉनसून सक्रिय है, जबकि पश्चिमी हिस्सों में यह सामान्य है. पिछले 24 घंटों के दौरान प्रदेश के पूर्वी इलाकों में ज्यादातर स्थानों पर वर्षा हुई. वहीं, राज्य के पश्चिमी भागों में कुछ स्थानों पर भी बादल बरसे. इस अवधि में सबसे ज्यादा 12 सेंटीमीटर बारिश सलेमपुर (देवरिया) में हुई.
इसके अलावा एल्गिन ब्रिज (बाराबंकी) में नौ सेंटीमीटर, फुरसतगंज (अमेठी) में आठ, चंद्रदीप घाट (गोंडा) में सात, रामनगर (बाराबंकी), फतेहपुर (बाराबंकी) अंकिन घाट (कानपुर देहात) और बलरामपुर में छह-छह सेंटीमीटर, चुर्क (सोनभद्र), सफीपुर (उन्नाव), जौनपुर, अकबरपुर (अंबेडकर नगर), कन्नौज और सुल्तानपुर में पांच-पांच, रॉबर्ट्सगंज (सोनभद्र), बहराइच, आजमगढ़, बिंदकी (फतेहपुर) तुरतीपार (बलिया), जौनपुर, बदायूं, बरेली तथा आंवला (बरेली) में चार-चार सेंटीमीटर वर्षा दर्ज की गई.
अगले 24 घंटों के दौरान भी प्रदेश के पूर्वी हिस्सों में ज्यादातर स्थानों पर बारिश होने की संभावना है. वहीं राज्य के पश्चिमी भागों में कुछ जगहों पर वर्षा हो सकती है. प्रदेश में बारिश का यह सिलसिला आगामी 29 जून तक जारी रहने की संभावना है. केंद्रीय जल आयोग के अनुसार बुधवार की सुबह आठ बजे वाराणसी में गंगा का जल स्तर 60.11 मीटर था.
वहीं अगले दिन 24 घंटे बाद गुरुवार की सुबह आठ बजे तक तक बढकऱ 60.35 मीटर पर हो गया. वहीं जलस्तर में बढ़ाव रात तक जारी रहा. वहीं 36 घंटे बाद रात आठ बजे तक यह आंकड़ा 60.47 मीटर पर पहुंच गया था. यानी 36 घंटे में गंगा का जलस्तर 36 सेमी तक बढ़ गया था. बढ़ाव के साथ निचले घाटों व सीढिय़ों से गंगा का पानी घाट के मुख्य प्लेटफार्म की ओर बढऩे लगा है. गंगोत्री सेवा समिति की ओर से दशाश्वमेध घाट पर दैनिक गंगा आरती के लिए प्रयुक्त होने वाली मढ़ी तक पानी पहुंच गया है. नौकाओं की सुरक्षा के लिए मांझियों ने रात भर घाट पर पहरा दिया. पिछले साल बाढ़ के कारण जमकर तबाही हुई थी. सैकड़ों घरों के लोगों को राहत शिविर में रहना पड़ा था. वाराणसी में गंगा एवं वरुणा किनारे बसे लोगों की धुकधुकी बढ़ गई है. हालांकि प्रयागराज, मिर्जापुर, फाफामऊ, बलिया और गाजीपुर में गंगा स्थिर हैं.
औवा बौवा बहे बतास, तब होवै वर्षा की आस
इसी क्रम में अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय, दुबेछपरा, बलिया के पूर्व प्राचार्य एवं समग्र विकास शोध संस्थान के सचिव पर्यावरणविद् डॉ. गणेश कुमार पाठक ने मानसून की गतिविधियों के संदर्भ में आज एक भेंटवार्ता में बताया कि कई वर्षों के पश्चात इस वर्ष मानसून अपने नियत समय पर आकर बलिया सहित पूर्वांचल के जिलों में भरपूर वर्षा प्रदान करते हुए पूरे उत्तर- प्रदेश में छा गया है. किंतु इधर दो दिनों से वर्षा की गति धीमी है. यद्यपि की इन दो दिनों में भी बादल छाए रहे और कहीं- कहीं हल्की बारिश भी हुई
डॉ. पाठक ने बताया कि पुणे से प्रकाशित इधर हाल के दिनों के मौसम मानचित्र के अध्ययन, मानसून की बढ़ती एवं बदलती गतिविधियों एवं पूर्वानुमान बताने वाली विभिन्न एजेंसियों, संस्थाओं द्वारा जारी मानसून की गतिविधियों तथा वर्षा के आँकलन के आधार यह कहा जा सकता है कि बलिया सहित पूर्वांचल में वर्षा की दो दिनों की सुस्ती के पश्चात पुनः शनिवार से सोमवार तक अर्थात् 27 जून से 29 जून तक वर्षा होने की प्रबल संभावना है. इन दिनों शनिवार को 35 से 60 प्रतिशत, रविवार को 66 से 86 प्रतिशत एवं सोमवार को 37 से 91 प्रतिशत तक भारी वर्षा होने की संभावना है.
फिर भी स्थानीय मौसम की गतिविधियों, प्रबलता एवं विशिष्टताओं के आधार पर इस वर्षा में कमी- बेसी भी हो सकती है. डॉ. पाठक ने यह भी बताया कि आज सुबह से ही कभी पूर्वी तो कभी पश्चिमी वायु प्रवाहित हो रही है. ऐसी परिस्थति में अमूमन जोरदार वर्षा होती है. इस आधार पर आज शुक्रवार की रात में भी वर्षा हो सकती है.
इस संदर्भ में महाकवि घाघ ने भी कहा है कि औवा बौवा बहे बतास, तब होवै वर्षा की आस
अर्थात जब वर्षा ऋतु में कभी इधर और कभी उधर की, कभी तेज एवं कभी मंद तथा अनिश्चित हवा चलने लगे तो अवश्य वर्षा होगी. घाघ ने यह भी कहा है कि- खन पुरवाई, खन पछियाव, खन-खन बहै बबुरा बाय. जो बादर – बादर में जाय, घाघ कहै जल कहाँ समाय. एक अन्य कहावत में घाघ ने कहा है कि- पुरवा में जब पछुवा बहे, हँसि के नारि पुरूष से कहे. ऊ बरसे, ई करे भतार, कहे घाघ यह सगुन विचार. घाघ कवि के इन कहावतों के आधार पर भी इधर तीन -चार दिनों तक अच्छी वर्षा होने की सम्भावना है.