बलिया लाइव ब्यूरो
बलिया। बीते तीन दिनों के झमाझम बारिश के बाद किसानों की तो बल्ले बल्ले हो गई हैं, मगर कई जगह बाढ़ जैसी हालत हो गई है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक गंगा का जलस्तर खतरे के निशान को छू रहा है. सोमवार की शाम सिंचाई विभाग बाढ़ खण्ड के बाढ़ नियंत्रण कक्ष से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार गंगा नदी का जलस्तर गायघाट में 57.400 मीटर, घाघरा का जलस्तर डीएसपी हेड में 63.375 मीटर, घाघरा का जलस्तर चांदपुर में 57.86 मीटर, मांझी में 54.40 मीटर एवं टोंस नदी का जलस्तर पीपरा घाट पर 58.60 मीटर है. अर्थात बाढ़ नियंत्रण कक्ष की रिपोर्ट बता रही है कि जनपद में नदिया बढाव पर है, किन्तु खतरा बिन्दु से नीचे है.
गंगा बलिया शहर में धड़कनें बढ़ा रही है
लगातार बढ़ोतरी से शहरी विशेष तौर पर दहशतजदा हैं. सोमवार को गंगा का पानी बलिया शहर तक पहुंच गया. गायत्री मंदिर, शनिचरी मंदिर, मिशन एवेरी तक गंगा पानी पहुंचने से लोग भयभीत हैं. नीचे रह रहे लोग अपने सामान निकालकर ऊपर छत पर चले गए हैं. प्रत्येक घंटे एक सेंटीमीटर गंगा का पानी तेजी से फैलता जा रहा है. पानी इसी रफ्तार से अगर बढ़ता रहा तो जानवरों के सामने भी भुखमरी की स्थिति पैदा हो सकती है.
गंगा पार वालों के लिए मुख्यालय पहुंचना परेशानी का सबब
उल्लेखनीय है कि गंगा के दियारे में हजारों की संख्या में पशु प्रत्येक दिन चरते हैं. विभाग ने गंगा एवं घाघरा के जल में बढ़ोतरी को लेकर अलर्ट जारी किया है . गंगा के उस पार बसे शिवपुर दियर, प्राणपुर, कृपा राय के डेरा, जवन्हीं 8 गांव के लोगों का जिला मुख्यालय तक पहुंचना कठिन हो गया है. शिवरामपुर घाट पर बना पीपा का पुल पानी बढ़ते ही हटा लिया गया है. गंगा के उस पार बसे लोगों के सामने नाव ही एकमात्र सहारा है. नाव से आने-जाने में घंटों लग जाता है तथा काफी समय तक नाव आने का इंतजार करना पड़ता है.
थम्हनपुरा बैरिया रिंग बांध पर दबाव बढ़ने से संकट गहराया
थम्हनपुरा होते हुए बैरिया तक जाने वाला रिंग बंधा पर मंगलवार को गंगा का पानी बढने के कारण दबाव बढ़ गया. वहीं विभागीय उदासीनता अभी भी ज्यों की त्यों बनी है, जबकि ये बंधा 2013 की ही बाढ़ में आधा कट गया था. बीच में तीन साल समय मिला, लेकिन किसी भी अधिकारी का ध्यान इस पर नहीं गया. वहीं जनप्रतिनिधि भी इसे मुद्दा बनाना मुनासिब नहीं समझा. नतीजन इस बार हालत इतनी दयनीय है कि बाकी बचे बंधा पानी के दबाव के कारण कभी भी टूट सकता है और तबाही का मंजर बन सकता है.