

गाजीपुर। जनपद के गहमर बवाल के मामले में मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान पुलिस कप्तान सुभाषचंद्र दूबे काफी बेबाक मूड में दिखे. उन्होंने घटनाक्रम के सभी पहलुओं को साफगोई से मीडिया के समक्ष प्रस्तुत करने की भरपूर कोशिश की. इसके अलावा गहमर के ग्रामीणों को उन्होंने आश्वस्त किया कि मेरे यहां पैरवी के लिए कोई फोन नहीं करता है.
इस प्रकरण में निष्पक्ष व पारदर्शी ढंग से कार्रवाई की जायेगी. उनकी अपील रही कि ग्रामीणों का उत्पीड़न पुलिस नहीं करेगी, बल्कि ग्रामीण पुलिस की सहायता करें. घटना में वांछित लोग खुद पुलिस के सामने सरेंडर कर दें. वैसे तो जिले में कई बार पुलिस पर हमला हो चुका है, लेकिन यह पहला मौका था कि इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी पुलिस की ओर से धैर्य व विवेक का पूरी तरह से परिचय दिया गया. यदि पुलिस थोड़ा सा भी आवेश में आकर कोई कदम उठा लेती तो इस चुनावी माहौल में मामला बिगड़ सकता था.
निश्चित रूप से पुलिस महकमे की इस पूरी सूझबूझ का श्रेय एसपी को दिया जाता है, उनके निर्देशन में पुलिस की ओर से एक बेहतर संदेश देने का काम किया गया है. दूसरी तरफ इस मामले को संभालने में ग्रामीण एसपी अनिल सिंह सिसौदिया की भूमिका को भी किसी प्रकार से कमतर करके नहीं आंका जा सकता है.

गहमर गांव में बवाल होने के बाद वहां मौके पर पहुंचने वाले पुलिस अधिकारियों में अगर कोई नाम है, तो वह ग्रामीण एसपी अनिल सिंह सिसौदिया ही हैं. ग्रामीण एसपी न तो केवल पहले मौके पर पहुंचे, बल्कि उन्होंने लगातार दो दिनों तक गांव में कैंप किया. उनकी मौजूदगी का ही असर रहा कि गांव में स्थिति तुरंत नियंत्रण में आने के साथ ही माहौल भी सामान्य हो गया. उन्होंने खुद पूरे मामले की छानबीन की और सीसी कैमरे की फुटेज के जरिये आरोपियों को ग्रामीणों की मदद से चिहिृत किया.