बिजली की न्यूनतम लागत का स्रोत है जीवाश्म ईंधन: डॉ. के. नामसिवायम

-गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, नवाचार, अनुसंधान, बाजार सस्टेनेबिलिटी है : प्रो. प्रदीप कुमार

पांच दिवसीय कार्यशाला का हुआ समापन

जौनपुर, बलिया. वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर और गुरु नानक कॉलेज चेन्नई के संयुक्त तत्वावधान में पांच दिवसीय राष्ट्रीय ऑनलाइन वर्कशॉप के अंतिम दिन बुधवार को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नवाचार अनुसंधान पर चर्चा हुई.

 

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इस अवसर पर पीयू के प्रो. प्रदीप कुमार ने बायो टेक्नोलॉजी के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि उत्पाद और सेवाओं के लिए जिओ कोशिकाओं उसके भागों और आणविक एनालॉग के अनुप्रयोग को प्राप्त करने के लिए प्राकृतिक विज्ञान और एकीकरण विज्ञान का एकीकरण जरूरी है. उन्होंने नैनो पार्टीकल के लाभ के बारे में विस्तार से जानकारी दी. बताया कि परावर्ती रंगों पर सिल्वर और गोल्ड के ननोपार्टिकल का आकार अलग अलग होता है. उन्होंने बताया कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, नवाचार, अनुसंधान, बाजार सस्टेनेबिलिटी है.

 

गुरुनानक कॉलेज चेन्नई के, सहायक प्रोफेसर डॉ. के. नामसिवायम ने कहा कि बायोमीथेन का उत्पादन बायोगैस से अशुद्धियों को दूर करके किया जाता हैै. जैविक ईंधन उत्पादन के बारे में विस्तार से चर्चा की. कहा कि जीवाश्म ईंधन और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में बिजली की न्यूनतम लागत प्रदान करता है.

 

प्राकृतिक संसाधनों के अतिरिक्त हमें सामाजिक और आर्थिक संसाधनों की भी आवश्यकता होती है.
इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफ़ेसर निर्मला एस. मौर्य ने आशीर्वचन ने कहा कि पांच दिवसीय कार्यशाला में दोनों शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थी और शिक्षकों को अपने ज्ञान का आदान- प्रदान करने का मौका मिला.

 

इस अवसर पर प्रो.रामनारायण, प्रो. वंदना राय, डॉ. नूरजहां, प्रो.प्रदीप कुमार, डॉ मनीष गुप्ता, डॉ. संजीव गंगवार, डॉ. मनोज कुमार पांडेय, नाहिदा, डॉ.एसपी तिवारी, ऋषि श्रीवास्तव, डॉ.एमजी रघुनाथन, मनजीत सिंह नय्यर, डॉ. प्रभाकर सिंह, डॉ विवेक कुमार पांडेय, डॉक्टर सुधीर उपाध्याय आदि प्रतिभाग कर रहे थे.
(डा. सुनील कुमार की रिपोर्ट)

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