


बलिया. श्रीमती गंगा लालवानी बनाम यूनियन ऑफ इण्डिया एण्ड अदर्स में भारत सरकार एंव अन्य की सुनवाई करते हुए मा0 राष्ट्रीय हरित अधिकरण दिनाकं-01 अक्टूबर 2019 को सुनवाई के बाद फसल अवशेष जलाये जाने से उत्पन्न हो रहे प्रदूषण की रोकथाम किये जाने हेतु निर्देश दिये गये हैं. कृषि अपशिष्ट/पराली को जलाना दण्डनीय अपराध है. वर्ष 2021-22 में तहसीलवार पराली जलाने की घटना से तहसील के किसानों पर जुर्माना लगाया गया है.
तहसील सिकंदरपुर के 6 किसान अधिरोपित जुर्माना की धनराशि 15 हजार एंव तहसील रसड़ा के 8 किसान अधिरोपित जुर्माना की धनराशि 20 हजार है.
सभी किसान भाईयों को सूचित करते हुए जिला उप कृषि निदेशक इन्द्राज ने बताया है कि अपने खेतों में धान की पराली/फसल अपशिष्टो को बिल्कुल भी न जलाएं, पराली/फसल अपशिष्टों का वैकल्पिक उपयोग यथा-बायो एनर्जी,कम्पोस्ट खाद इत्यादि के लिए करें, जिसके फलस्वरूप मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की बढ़ोतरी से मिट्टी जीवाणुओं की क्रियाशीलता बढ़ती है, और उत्पादन बढ़ता है. जिन किसानों द्वारा अपने फसल अपशिष्टों/कूड़ा को जलाया जाता है, तो उनके विरूद्ध दो एकड़ तक के किसानों को 2500 रुपये- प्रति घटना, 2 एकड़ से 5 एकड़ तक के किसानों को 5000 रुपये -प्रति घटना, तथा 5 एकड़ से अधिक भूमि पर 15000रुपये-प्रति घटना का जुर्माने का प्राविधान है.

(बलिया से कृष्णकांत पाठक की रिपोर्ट)