मशरूम की खेती से किसानों को मिल सकती है अतिरिक्त आमदमी, सोहांव में दिया गया मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण

नरही, बलिया. आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र सोहाँव बलिया की ओर से मशरुम उत्पादन उद्यमिता विकास पर आयोजित पांच दिवसीय प्रशिक्षण शनिवार को समाप्त हो गया. प्रशिक्षण के दौरान ऑनलाइन माध्यम से के.वी.के.बाराबंकी के विषय वस्तु विशेषज्ञ (पादप रक्षा) डा.संदीप कुमार ने प्रशिक्षणार्थियों को मशरूम के उत्पाद एवं उनसे लाभ एवं  प्राप्त होने वाले पोषक तत्वों के बारे में जानकारी दी.

 

केन्द्र के अध्यक्ष प्रो. रवि प्रकाश मौर्य ने ओयस्टर मशरूम को तैयार करने की विधि बताई. साथ ही मशरुम में लगने वाली बीमारियों एवं उनके रोकथाम पर चर्चा की. उन्होंने  बताया कि 20 फीट लम्बा, 15 फीट चौड़ा एवं 10 फीट ऊंचाई वाले कमरे में ओयस्टर मशरुम का उत्पादन अच्छी तरह से किया जा सकता है. इसके लिये भूसा,. पालीथीन बैग, फार्मलीन, बाविस्टिन एवं स्पान (बीज) की आवश्यकता होती है जो सभी असानी से  मिल जाते है.

 

कृषि विज्ञान केन्द्र बक्सर बिहार के वैज्ञानिक डा. रामकेवल ने बटन मशरुम पर जानकारी देते हुए बताया कि इसके लिये कम्पोस्ट तैयार करने में एक माह का समय लगता है. स्पान को छोडकर सभी संसाधन स्थानीय बाजार में उपलब्ध है.

 

डा.प्रेमलता श्रीवस्तव गृह विज्ञान वैज्ञानिक ने मूल्यसंवर्धन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मशरुम की सब्जी, सूप, आचार, पापड़ आदि आसानी से बनाया जा सकता है. प्रशिक्षण समन्वयक डा.सोमेन्द्र नाथ शस्य वैज्ञानिक ने मशरुम घर की जानकारी दी. डा. मनोज कुमार ने स्पान तैयार करने की विधि बतायी. हरिशंकर वर्मा ने स्वरोजगार के विभिन्न बिन्दुओं पर चर्चा की.

 

जिला उद्यान अधिकारी नेपाल राम ने मशरुम से सम्बंधित योजनाओं पर चर्चा करते हुए बताया की रू20 लाख की लागत मे 40 प्रतिशत की छूट मिलती है. ग्राम रामगढ़, ब्लॉक गड़वार के मशरूम उत्पादक टुनटुन यादव ने बीते पांच वर्षो से मशरुम की खेती का अपना अनुभव साझा किया और प्रशिक्षणार्थियों के सवालों का जवाब दिया.

 

के.वी.के.गाजीपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डा. राजेश चन्द्र वर्मा ने मशरूम उत्पादन में आने वाली  विभिन्न पहलुओं पर बहुत बारिकी से प्रकाश डाला. वैज्ञानिक शस्य डा. जय प्रकाश सिंह ने भी प्रशिक्षणार्थियो को सम्बोधित किया.

 

प्रशिक्षण के अन्तिम दिन प्रक्षेत्र प्रबंधक धर्मेंन्द्र कुमार ने केन्द्र परिसर में लगी जैविक हल्दी की प्रजाति नरेन्द्र हल्दी-1, धान की स्वर्णा शक्ति, अरहर आपी.ए -203, आंवला एवं अमरूद के बागों का भ्रमण कराकर तकनीकी जानकारी दी. प्रशिक्षण में जनपद के विभिन्न विकास खण्डों के 28 महिला-पुरुष कृषकों ने भाग लिया.

(सोहांव से कृष्णकांत पाठक की रिपोर्ट)

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