
श्रद्धालुओं का उमड़ रहा रेला
बिल्थरारोड (बलिया)। नगर से लगभग 15 किलोमीटर दूर पुरब-दक्षिण दिशा में ग्राम सभा चन्दाडीह स्थित माँ मातेश्वरी के मंदिर पर वासांतिक नवरात्र में देवी के पूजन अर्चन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लग रही है. माँ मातेश्वरी के दर्शन मात्र से सारे कष्ट मिट जाते है, और माँ के भक्तों को मनोवांच्छित फल की प्राप्ति होती है. यह मंदिर लोगो की आस्था का केन्द्र बना हुआ है. हर साल मई माह में यहाँ बड़े पैमाने पर धार्मिक आयोजन किया जाता है.
चन्दाडीह स्थित माँ मातेश्वरी के मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि आज से लगभग 100 वर्ष पूर्व द्वाबा बलिया निवासी मातेश्वरी सोनकली देवी नामक कन्या की शादी चन्दाडीह गांव के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. इनके द्विरागमन के पूर्व ही पति का निधन हो गया. पति के निधन के बाद पिता के साथ चन्दाडीह मातेश्वरी सोनकली देवी पहुँची.
इसके बाद कुछ महिलाएं इन्हे कहने लगी की इनका पौरा सही नही है. इसी कारण इनके पति की मौत हो गयी. पति के निधन के शोक में डूबी मातेश्वरी ने अन्न जल त्याग दिया, और 21 वें दिन ये स्वर्ग लोक को चली गयी.
इसके कुछ दिन बाद परिवार वालों से मन्दिर निर्माण व पूजन के लिए कहती हुई अपनी आभा दिखाई. अपने सेवा की बात कही. परिवार वालो ने सेवक के रूप में बबुआ जी को सौंपा और इनकी भी मौत हो गयी. आज भी यहाँ पर बबुआ जी का पोखरा विद्यमान है. परिवार के लोग गांव में ही वेदी बनाकर पूजन-अर्चन करने लगे.
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इसके बाद गांव के पूरब तरफ बगीचे में जनसहयोग से एक भव्य मन्दिर का निर्माण कराया गया. धीरे-धीरे ग्रामीणों के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों के लोग भी माँ मातेश्वरी का पूजन अर्चन करने लगे. माँ मन्दिर में मन्नत मांगने के बाद मुराद पूरी होने पर लोग पूजन करते है. देवी के मन्दिर में वासान्तिक और शारदीय नवरात्र श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगती है. इसके अलावा हर शुक्रवार और सोमवार को भक्तगणों द्वारा कथा, पूजन, हरिकीर्तन, रामायण कहलवाने का दौर चलता रहता है.
पुत्र प्राप्ति, नौकरी, धन-धान्य एवं दुःखो को हरने हेतु जो भी भक्त माँ मातेश्वरी के दरबार में सच्चे मन से माथा टेकता है उनकी मुरादे अवश्य माँ मातेश्वरी पूरी करती है. माँ के मन्दिर में कोई चोरी की या झूठी कसमे खाने नही आता है. ऐसा प्रमाण है कि जो यदि भूलवश कसम खाया, माँ मातेश्वरी ने उसे असाध्य रोगों से ग्रसित कर दी या वे लोग अन्धे हो गये. मन्दिर के नाम से लगभग 20 बीघा जमीन है जिसे कोई कब्जा नही करता है.
यहाँ पर हर वर्ष मन्दिर प्रांगण में विशाल प्रवचन कथा का आयोजन किया जाता है. जिसमे ख्याति प्राप्त प्रवचनकर्ता शिरकत करते है, और लोग कथा का रसपान करते है. जिसमे गैर जनपद के लोग भी भाग लेते है. माँ मातेश्वरी के मन्दिर में मुस्लिम वर्ग के लोग भी मन्नते पूरी होने पर पूजन अर्चन करते है. मन्दिर में एक बड़ा हवनकुण्ड तथा प्रांगण में आगन्तुको एवं साधु सन्तो के ठहरने के लिए विशाल भवन का निर्माण कराया गया है. मन्दिर में मांगलिक कार्य एवं मुण्डन संस्कार भी किये जाते है.