किसानों ने जनपद को सूखा घोषित करने की मांग की
दुबहड़(बलिया)। “का वर्षा जब कृषि सुखाने ,समय चुकी पुनी का पछताने” यह कहावत बलिया जनपद के दोआबा क्षेत्र के किसानों पर सटीक बैठ रही है. क्योंकि पिछले 6 माह से मौसम के मिजाज ने किसानों के साथ कुछ इस तरीके का खेल खेला है की किसान इधर के हैं ना उधर के. वह अपने भाग्य पर रो रहे हैं.
ज्ञात हो कि बलिया के दोआबा क्षेत्र में धान की पैदावार कम होती है. यहां मक्का, ज्वार, बाजरा, परवल एवं सब्जी की खेती कर किसान अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. लेकिन जिस समय मक्का, ज्वार, बाजरा बोने का समय हुआ तो उस समय बरसात इतनी हुई कि कोई किसान अपने खेतों में जा नहीं पाया. लेकिन अब अक्टूबर महीने में किसान जब अपने खेतों में गेहूं की बुआई करने के लिए जा रहे हैं, तब खेत एकदम सूखे पड़े हुए हैं. कहीं कोई नमी ही नहीं है, जिसमें गेहूं की बुवाई हो सके. ऐसे में किसानों के ऊपर पहाड़ टूट पड़ा है. किसान के भरोसे अपने परिवार के भरण-पोषण का सपना देखते हैं. जिसे मौसम के एक मिजाज ने उनको कहीं का नहीं छोड़ा. ऐसी परिस्थिति में किसान करें भी तो क्या करें उसके समझ में कुछ नहीं आ रहा है. क्षेत्र के दर्जनों गांव के किसानों ने जिसमें नगवा निवासी विमल पाठक बयासी निवासी कमला सिंह आदि लोगों ने प्रदेश सरकार से जनपद को सूखा घोषित कर किसानों को उचित मुआवजा देने की मांग की है.