
बलिया। बैरिया तहसील अंतर्गत गोपालपुर, उदई छपरा और दुबेछपरा को बाढ़ से सुरक्षा देने वाले रिंग बांध की हालत नाजुक है. शासन द्वारा घोषणा कर प्रभावित गांवों को खाली करवाया जा रहा है. बताया जा रहा है कि बांध रिपेयरिंग में लगे मजदूर भी हाथ खड़े कर चुके हैं. फिलवक्त दुबेछपरा में भगदड़ की स्थिति बनी हुई है, जो जैसे है, वैसे ही घर छोड़कर भाग रहा है.
इसे भी पढ़ें – देर रात कमिश्नर पहुंची दुबेछपरा रिंग बांध पर

इसे भी पढ़ें – शिवपाल बोले, युद्ध स्तर पर चले बचाव व राहत का काम
हकीकत तो यह है कि 1952 में गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा निर्मित दुबेछपरा रिंग बांध आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. करीब 3 किलोमीटर की लंबाई के इस बांध प्रशासन की लापरवाही के वजह से अब टूटने की कगार पर है. लगातार बाढ़ के प्रकोप को झेलकर बूढ़े हो चुके इस बांध ने अब तक ग्रामसभा गोपालपुर के लोगों की हिफाजत की है.
This Post is Sponsored By Memsaab & Zindagi LIVE

इसे भी पढ़ें – जानिए बुधवार को आपके जिले में क्या क्या हुआ
गत वर्षों 2003 और 2013 में आई बाढ़ के बाद इस रिंग बांध को सिचाई विभाग के अधीन कर दिया गया था. पिछले साल इसकी कच्ची मरम्मत का काम किया गया, जो कि नाकाफी था. अब तक रिकिनीछपरा, मीनापुर, गंगापुर, शाहपुर, चौबेछपरा और श्रीनगर के लोग पहले ही अपना सब कुछ गंवा चुके हैं.
इसे भी पढ़ें – गाजीपुर भाजपा कोष से विनोद राय के आश्रितों को पांच लाख
गुरुवार की दोपहर स्थिति यह थी कि दुबे छपरा रिंग बांध टूटने से बचाने की सारी उम्मीदे खत्म हो गई थी. स्थानीय लोगो का कहना है कि 12 बजे पूरा प्रशासनिक अमला मैदान छोड़कर भाग खड़ा हुआ. यहां तक कि खुद डीएम को माईक से गांव छोड़ने की सभी ग्रामवासियों से अपील करनी पड़ी. प्रशासन भले हाथ खड़े कर दिया हो, लेकिन ग्रामीण अपने स्तर से बांध को बचाने की पूरी कोशिश में लगे हैं. गुरुवार की रात बहुत महत्वपूर्ण होगी. शुक्रवार को ही पता लगेगा कि बांध बचा या टूटा. ग्रामीणों के पलायन से एनएच-31 पर रहने की जगह ही नहीं बची है.
इसे भी पढ़ें – जहां देखों वहीं पानी, मगर पीने के पानी कहीं नहीं