जौनपुर, बलिया. वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय परिसर स्थित विश्वकर्मा छात्रावास में गुरुवार को डॉ भीमराव आंबेडकर की जन्मजयंती धूमधाम से मनाई गई.
इस अवसर पर छात्रावास के सभागार में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी के मुख्य अतिथि रज्जू भैया संस्थान के निदेशक प्रो. देवराज सिंह ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि डॉ अंबेडकर ने भारतीय समाज में फैली छुआछूत को दूर करने तथा समाज के शोषित, वंचित व पिछड़ों मुख्य धारा में लाने के लिए आजीवन संघर्ष किया. भारत के संविधान निर्माता के रूप में उन्होंने समतामूलक समाज के निर्माण हेतु अद्वितीय प्रयास किया.
इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ श्याम कन्हैया ने छात्रों को बाबा साहब के जीवन से प्रेरणा लेने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने बाबा साहब के जीवन संस्मरणों का छात्रों के साथ साझा किया.
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए विश्वकर्मा छात्रावास के वार्डेन तथा मुख्य वक्ता डॉ नितेश जायसवाल ने कहा कि डॉ भीमराव आंबेडकर दलित, शोषित, वंचित व पिछड़ों के प्रेरणा स्त्रोत है. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में भारत के संविधान निर्माण महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया. स्वतंत्रता पूर्व कोलंबिया विश्वविद्यालय व लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मास्टर व डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने वाले डॉ. अंबेडकर अपने समाज से पहले भारतीय थे. डॉ अंबेडकर से आज का युवा पीढ़ी प्रेरणा प्राप्त कर शिक्षा के माध्यम से अपने समाज व देश को आगे ले जा सकता है. डॉ अंबेडकर ने राजनीति, विधि, कानून व अर्थशास्त्र पर कई शोध स्तरीय पुस्तकें लिखी.
डॉ. जायसवाल ने बताया की स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व ही वह बॉम्बे विधान परिषद व विधान सभा के सदस्य रहे. स्वतंत्र भारत में वह बाम्बे से राज्यसभा के लिए निर्वाचित होकर देश के पहले कानून व न्याय मंत्री बने. समाज के विभिन्न क्षेत्रों में में उनके योगदान को दृष्टिगत रखते हुए 1990 में भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया.
संगोष्ठी का संचालन और अतिथियों का स्वागत छात्रावास के अंतःवासी राहुल कुमार ने किया. इस मौके पर छात्रावास के कर्मचारी इंद्राज, अर्जुन, विरेंदर, राहुल तथा छात्रावास के सभी अंतःवासी मौजूद रहे.
(जोनपुर से डॉ सुनील की रिपोर्ट)