क्रांति उत्सव का दूसरा दिन
बलिया। बहुत ही कारुणिक दृश्य था. जब अगस्त क्रांति उत्सव के तहत नपाध्यक्ष अजयकुमार समाजसेवी और सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के प्रान्तीय संगठन मंत्री शिवकुमार सिंह कौशिकेय का कारवां उस क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी उमाशंकर सोनार जी के बड़ा गड़हा स्थित घर पहुँचा. जिन्होंने 10 अगस्त को भारत छोड़ो आन्दोलन का बिगुल फूंका था. नेतृत्व विहीन आजादी की लड़ाई का नेतृत्व करने का साहस किया था. जिसके लिये ब्रिटिश शासकों की पुलिस ने घोर अमानुषिक यातनाएं दिया था. जेल भेजा और वर्षों कैद रहे.
इनके दोनों पुत्र देशबंधु वर्मा, दिनेशचन्द आर्य सूदखोर दबंगों के आतंक से अज्ञातवास में जीने को मजबूर हैं. इन्हें कोई सरकारी पेंशन जमीन भी नहीं मिल पाई है. घर पर इस सेनानी की पुत्र वधुएं मीना देवी, रामेश्वरी देवी और मूक बधिर पौत्र सोनू को पालिकाध्यक्ष ने अंगवस्त्रम्, पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया.
सेनानियों के सम्मान का अगला पड़ाव था,12 अगस्त को युवा आन्दोलनकारियों, छात्रों के ऊपर लाठीचार्ज गिरफ्तारी और अमानवीय अत्याचार कराने वाले परगनाधिकारी मुहम्मद ओवैस के दमन के खिलाफ 13 अगस्त 1942 को अपनी माँ लखरानी देवी, बहन मानकी देवी, गायत्री देवी और सैकड़ों महिलाओं के साथ सड़कों पर उतर कर जिला जज के ऊपर चूड़ी फेंकने और जजी कचहरी पर झण्डा फहराने वाली, मुहम्मद ओवैस को कुर्सी से उतार कर परगनाधिकारी की कुर्सी पर बैठने वाली जानकी देवी का घर. सेनानी लखरानी देवी की दोनों वीर पुत्रियों का विवाह एक व्यक्ति देवनाथ राय के साथ हुआ था. जानकी देवी की एकमात्र पुत्री विमला देवी अपने पति कौशल कुमार के साथ वाराणसी रहतीं हैं. घर पर उनकी दूसरी माता जो मौसी भी थी के पुत्र मदन मोहन कुमार को नगरपालिका अध्यक्ष ने अंगवस्त्रम् पुष्पहार से सम्मानित किया. इस अवसर पर टुनटुन सर्राफ, राजेश कुमार पाण्डेय, गणेश वर्मा, दीनानाथ प्रसाद, विनोद जायसवाल, रोशन जायसवाल, बिरजू, भूपेन्द्र आदि उपस्थित रहे.