दुबेछपरा मे कटान रोधी कार्य मे विलम्ब का खेल शुरू

भूमि अधिग्रहण ञसम्बन्धित किसान अधिकारी वार्ता विफल

बैरिया(बलिया)। कटान रोधी कार्य के लिए जमीन अधिग्रहण के मामले में किसानों के साथ सिंचाई विभाग के अधिकारियो की वार्ता विफल रही.  नही बन पायी सहमतिऔर अधिकारियों के साथ बैरंग लौटे सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता दिलीप कुमार चतुर्वेदी.
बता दें कि शुक्रवार को सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता अपने सहयोगियों के साथ दुबेछपरा, गोपालपुर व उदईछपरा के किसानों से बैठक कर कटान रोधी कार्यो के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए मुआवजे के लिए आम सहमति बनानी चाही. लेकिन जमीन के रेट को लेकर सहमति नहीं बन पाई. बिना किसानों को सन्तुष्ट किये अधिकारी वापस लौट गये. इसे बाढ व कटान पीडित क्षेत्र के लोग विभाग द्वारा कार्य विलम्बित करने की साजिश बताये. किसानों का कहना था कि पूर्व मे जो जमीन के रेट मिला था उसी दर से भुगतान की बात अधिकारी कर रहे थे. जो सरकार के नियमो के भी अनुरूप नहीं है.किसानो का कहना था कि पूर्व की जो जमीन दी गयी थी उसका सरकारी रेट वर्तमान की जमीन से बहुत ही कम था. अब जो जमीन अधिग्रहित होनी है इसके सरकारी रेट के साथ निर्धारित नियमो के अनुसार भुगतान किया जाय .साथ ही पहले की जमीन जो अधिग्रहित हुयी और मौजूदा जमीन जो अधिग्रहित होनी है इन दोनो के बीच की जमीन भी अधिग्रहित की जाय. किसानों के तर्क संगत बातों के सामने अधिकारी निरुत्तर रहे , और बिना किसी नतीजा के फिर आने की बात कह कर वापस लौट गये. जिस पर किसानों का कहना था कि इसी तरह बेनतीजा दो चार बैठकें करते करते बाढ तो आ जानी है और उनके लूट खसोट के मंसूबे पूरे हो जायेंगे.
ज्ञात रहे कि विधायक सुरेंद्र सिंह के पहल मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप से दुबेछपरा, गोपालपुर के कटान रोधी कार्य के लिए 29 करोड़ सरकार ने मंजूर किये है. तत्काल कार्य शुरू करने की अपेक्षा भी की गयी है.

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2 Replies to “दुबेछपरा मे कटान रोधी कार्य मे विलम्ब का खेल शुरू

  1. रामेश्वर नाथ तिवारी भाजपा सक्रिय सदस्य says:

    सार्वजनिक कार्य सर्वसहमति से होना चाहिए।लेकिन किसानों का हक भी सरकारी नियम के अनुसार ईमानदारी से दे देना चाहिए।यहाँ अधिकारियों को भ्रष्टचार त्यागना चाहिए ।

  2. रामेश्वर नाथ तिवारी भाजपा सक्रिय सदस्य says:

    किसी से नहीं तो इन्हें उपर वाले से डरना चाहिए।इनके विलम्बता से कितने लोगों की जिन्दगी तबाही में फसेगी सायद इन्हें पता है भी या नहीं।

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