बलिया। स्वदेश दीपक का ‘कोर्ट मार्शल’ अपने लेखन से लेकर मंचन तक इस सामाजिक उत्तरदायित्व और रंग-प्रक्रिया को बखूबी निभाता आया है. कोर्ट मार्शल का पहला मंचन रंजीत कपूर के निर्देशन में जनवरी 1991 को श्रीराम सेंटर के सभागार में हुआ था, तब से लेकर अब तक यानी की बीते दो दशक में कोर्ट मार्शल की दर्शक दीर्घा में किसी प्रकार का कोई अंतर नहीं आया. इसे जितनी बार देखा और पढ़ा जाए उतनी बार यह अर्थ के नए स्तरों को खोलता है. शायद यही कारण है कि ‘कोर्ट मार्शल’ इन दो दशकों में विभिन्न निर्देशकों द्वारा मंचन के लिए चुना जाता रहा है.
26 सितम्बर 2017 को सायं 06.30 बजे आपके बलिया शहर स्थित बापू भवन में ‘संकल्प’ के सौजन्य से एक बार फिर इसका मंचन होने जा रहा है. इसके निदेशक होंगे अमित पांडेय और निर्देशकीय सहयोगी होंगे सुप्रसिद्ध रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी.
मुंबई में नादिरा जहीर बब्बर के‘एकजुट’, कोलकाता में ऊषा गांगुली के ‘रंगकर्मी’ तथा दिल्ली में अरविंद गौड़ के ‘अस्मिता’ आदि नाट्य-मंडलियों द्वारा इसे अनेक बार मंचित किया जा चुका है. ‘कोर्ट मार्शल’ का मंचन वह जम्मू से चिमट तथा जयपुर से डिबरू तक लगभग हर रूप में (अर्थात् बंद प्रेक्षागृह, मुक्ताकाशी रंगमंच अथवा नुक्कड़ नाटक के रूप में) 400 से अधिक बार कर चुके हैं. कोर्ट मार्शल जिस प्रकार लेखन के स्तर पर एक सफल नाटक है, उसी प्रकार, मंचन के स्तर पर एक सर्वाधिक पसंद किया जाने वाला नाटक है. यह नाटक लेखक और निर्देशक के बीच रहने वाली किसी खाई-खंदक को जन्म नहीं लेने देता. जितना ‘रैलिवैंट’ यह अपने लेखन में है, उतना ही ‘रैलिवैंट’ अपने दर्शन में है.
स्वदेश जी,’कोर्टमार्शल’ अकेला ऐसा नाटक है, जिसे डायरेक्टर की जरूरत नहीं, एक्टर्ज अपनी जगह पर खड़े-खड़े ठीक से संवाद बोल दें, तो नाटक सफल. – नादिरा जहीर बब्बर (कोर्ट मार्शल के मंचन के पश्चात स्वदेश दीपक से हुई बातचीत में कहा- मैंने मांडू नहीं देखा पेज-95)