मझौवां (बलिया)। सरकार भले ही गंगा व घाघरा नदी कटान से बचाव के लिये लाख प्रयास करे. लेकिन बाढ़ विभाग के अधिकारी सरकार के प्रयासों पर पानी फेरने से बाज नहीं आ रहे है. इसका जीता जागता सच दुबेछपरा कटान रोधी कार्य में देखने को मिल रहा है. बालू से भरे 16 लाख ईसी बैग डालने का लक्ष्य है . जबकि कागज पर अधिक और मौके पर बहुत कम उपयोग करने का खुला खेल खेला जा रहा है. खाली स्थानों में मड पम्प से बालू भरा गया. जो तेज बाढ़ आये तो बालू बह जाये और जीओ बैग का पता किसी को नहीं लगे. कांग्रेस नेता विनोद सिंह ने ये आरोप सम्बन्धित ठेकेदारों, जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों पर लगाया है.
कहा कि यह सारे गोलमाल कारनामे बाढ़ विभाग के अधिकारियो के संरक्षण में हो रहा है. यह भी कहे कि दुबेछपरा जो काम के लिये टेंडर में हुआ है, उसमे भी गड़बड़ झाला है. कम रेट पर दिखाकर टेंडर मिला. जिसकी भरपाई उक्त फर्म द्वारा कटानरोधी कार्यों में घोटाला करके किया जा रहा है.
इंटक के जिलाध्यक्ष विनोद सिंह ने गत सोमवार को बाढ़ राज्यमंत्री उत्तर प्रदेश शासन स्वाति सिंह व प्रमुख सचिव सिचाई विभाग उप्र शासन सुरेश चंद्रा को शिकायती पत्र भेजा कर माँग की है कि प्रकरण की उच्च स्तरीय जाँच कराई जाए व जिले में तैनात अधीक्षण अभियंता एके रॉय व सहायक अभियन्ता सीएम शाही को तत्काल हटाया जाए. दोषी फर्म का भुगतान भी रोका जाय. कांग्रेस नेता वनोद सिंह ने बताया की सारे मामले की जानकारी जिलाधिकारी सुरेन्द्र विक्रम सिंह को भी दे दी है. उन्होंने कहा की शासन प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया तो माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा, साथ ही प्रकरण की जांच सीबी सीआईडी से कराने की माँग की है.