नाईक के मुरीद अफजाल ने दिए कांग्रेस से घटती दूरी के संकेत

अफजाल अंसारी बोले, अखिलेश यादव राजनीति में अभी कच्चे हैं. बसपा में सिर्फ पैसा तंत्र है. कांग्रेस और ओवैसी यूपी में बहुत जल्द साथ साथ होंगे.

बलिया लाइव न्यूज नेटवर्क

अगर कौमी एकता दल के सुप्रीमो अफजाल अंसारी की बात को सही माने तो यूपी की सियासत में बहुत जल्द एक बड़ा उलट फेर होने जा रहा है. सपा से मोहभंग होने के बाद अफजाल सपा-बसपा-भाजपा मुक्त यूपी की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे है. उनकी यह रणनीति किस हद तक कारगर होगी यह तो वक्त ही बताएगा. मगर शुक्रवार को बलिया के टाउन हाल के बापू भवन के सभागार में आयोजित कौमी एकता दल के वर्करों के सम्मेलन में शिरकत करने पहुंचे अफजाल ने जाकिर नाईक को क्लीन चिट देते हुए साफ साफ कहा कि मीडिया साजिशन झूठा दुष्प्रचार कर रही है.  सच्चाई तो यह है कि सोशल नेटवर्किंग के मामले में नाईक के मुकाबले नरेंद्र मोदी कहीं नहीं ठहरते. दुनिया भर में नाईक के फॉलोवर मोदी से ज्यादा हैं. यह बात मोदी और उनके समर्थक पचा नहीं पा रहे हैं. इस तबके को नाईक फूटी आंखों नहीं सुहा रहा है. इसलिए साजिशन उनके खिलाफ गाल बजाकर झूठ फैलाया जा रहा है. बकौल अफजाल नाईक विचारधारा की लड़ाई भर लड़ रहे हैं. पूर्व सांसद बोले – जाकिर ने मोदी की  तरह लोगों का कत्लेआम तो नहीं कराया. अफजाल ने तो यहां तक कहा कि वे जाकिर नाईक के मुरीद हैं.

क्या कौएद-कांग्रेस के बीच कुछ पक रहा है

कौएद सुप्रीमो ने घोषणा की कि बहुत जल्द सपा, बसपा और भाजपा से इतर शेष दलों का फोर्थ फ्रंट वजूद में आएगा. यहां तक कि कांग्रेस और ओवेसी की पार्टी भी एक प्लेटफॉर्म पर आने वाली हैं. मिशन 2017 के लिए दोनों की विवशताएं उन्हें ऐसा करने के लिए बाध्य करेंगी. इसके बाद सियासी पंडितों का गणित गड़बड़ा जाएगा. सुल्तानपुर हो या बलिया, अफजाल सपा-भाजपा-बसपा के प्रति अपना तल्ख तेवर और कांग्रेस के प्रति अपना सामान्य रवैया किसी से छुपा नहीं रहे थे. सियासत के पंडितों की माने तो यह उनका कांग्रेस के साथ बढ़ती नजदीकियों का संकेत भी है. कुछ ही देर पहले अफजाल न अखिलेश को राजनीति का कच्चा खिलाड़ी करार दिया था और मायावती के बारे में भी कहा कि बसपा में सिर्फ पैसा तंत्र काम करता है. आप जब चाहे पांच करोड़ देकर टिकट खरीद सकते हैं और कोई और चाह दे तो दस करोड़ देकर वह टिकट आपसे छीन भी सकता है. गौरतलब है कि अखिलेश यादव के अड़ जाने की वजह से कौमी एकता दल का सपा में विलय नहीं हो सका.

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