अब यों ही बदलता रहेगा मौसम का मिजाज- डा०-गणेश पाठक, पर्यावरणविद

मई और जून के महीने में बलिया में जिस तरह का मौसम दिखाई दे रहा है उसने सभी को हैरान कर दिया है। भयंकर आँधी- तूफान, पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव के साथ तापमान में अचानक वृद्धि, स्थानीय/ क्षेत्रीय चक्रवात की उत्पत्ति के कारण आँधी – तूफान, साथ ही आसमान में पहले से मौजूद नमी के कारण बादलों का भी निर्माण, घनघोर भयंकर डरावने बादल, बलिया ने पिछले कुछ ही दिनों में मौसम के कई रूप देखे हैं।

हवा की गति थोड़ी कम होते ही तेज गति से वर्षा, पूरा आकाश बादलों से आच्छादित, दिन में ही रात जैसा अंधेरा और आगे आने वाले दिनों में भी आँधी- तूफान आने की सम्भावना मौसम इतनी तेजी से मई-जून के महीने में रंग नहीं बदलता था।

पर्यावरणविद डा० गणेश पाठक की मानें तो मौसम हो रहा यह बदलाव एवं बार- बार आने वाला समुद्री तूफान खासतौर से बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग से हो रहे जलवायु परिवर्तन की देन है, जिसकी तीव्रता अब दिन प्रति दिन बढ़ने की ही संभावना है। स्थल भाग पर जब तापमान बहुत तेज होता है तो उस क्षेत्र की वायु गरम होकर हल्की हो जाती है ,जिससे वह हल्की होकर ऊपर उठती है और वह स्थान वायुरिक्त हो जाता है, जिसको भरने हेतु आस- पास की हवा तेजी से उस स्थान पर झपटती है और वह भी गरम हो जाती है और हल्की होकर ऊपर उठती है। यह प्रक्रिया कुछ देर तक चलती है ,जिससे उस ऊपर उठने वाली वायु में तेज गति आ जाती है और बवंडर का रूप ग्रहण कर लेता है। यही बवंडर जब वृहद् रूप पकड़ लेता है तो चक्रवात का रूप ले लेता है, जिससे तेज आँधी-;पानी आता है और कभी- कभी बहुत विनाशक भी हो जाता है।

 

हाल के आंधी-तूफान में दो परिस्थितियाँ काम की हैं। पहला यह कि पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय है, जिससे कल दिल्ली में भी आँधी- पानी आया है, उसकी गति आगे बढ़ी है और वह पूर्वी उत्तर- प्रदेश तक आ गया है , जिसमें वायु प्रवाह भी है और नमी भी है। दूसरी तरफ इस क्षेत्र में दो दिनों से पड़ने वाली भीषण गर्मी अर्थात अचानक तापमान में हुई वृद्धि से स्थानीय / क्षेत्रीय चक्रवात का भी माहौल बना और दोनों परिस्थितियाँ मिलकर इस भयंकर तूफान को जन्म दिया। यदि ऐसी स्थितियाँ बनती रहीं तो आगे आने वाले दिनों में भी आँधी-तूफान आ सकते हैं।

(पर्यावरणविद डा० गणेश पाठक से संवाददाता वीरेंद्र मिश्र की बातचीत पर आधारित रिपोर्ट)