- धर्म के आधार पर नागरिकता निर्धारण देश की एकता के लिए खतरनाक
बलिया: नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने कहा है कि धर्मनिरपेक्षता केवल शब्द नहीं है, भारतीय संविधान और लोकतंत्र की आत्मा है. धर्म नागरिकता का आधार बन गया तो भारतीय संविधान और लोकतंत्र की आत्मा मर जाएगी. उन्होंने कहा है कि समाजवादी लोग संविधान और लोकतंत्र की यह हत्या किसी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे.
सपा के जिला प्रवक्ता सुशील कुमार पांडेय ‘कान्ह जी’ के माध्यम से सोमवार को जारी एक प्रेसनोट में नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी ने कहा है कि धर्म के आधार पर नागरिकता निर्धारण का यह प्रारूप संविधान और लोकतंत्र में आस्था रखने वालों कतई स्वीकार नहीं होगा.
इसे लेकर चौतरफा आक्रोश से यह स्थिति साफ नजर आ रही है. इसे लाठी और गोली से दबाने की कोशिश देश की एकता और अखंडता के लिए भी खतरनाक साबित होगी. उन्होंने कहा है कि सीएबी (नागरिकता संशोधन बिल) अखण्ड भारत के सपने पर भी हमला है.
चौधरी ने कहा नागरिक रजिस्टर पंजी (एनआरसी) का प्रयोग पहली बार असम में किया गया. इसके लिए आन्दोलन करने वाला यह राज्य भी इस प्रयोग को स्वीकार नहीं किया. उसे गम्भीरता से लेकर और सर्वदलीय समिति बनाकर आम सहमति बनाने की कोशिश होनी चाहिए थी. इस आम सहमति से बने प्रारूप का भी प्रयोग पहली बार असम में ही होना चाहिए था.
लोगों का ध्यान मूल मुद्दों से हटाने के लिए धर्म के आधार पर नागरिकता तय करने वाला बिल पेश कर दिया जिसे लोकसभा और राज्यसभा में बहुमत और जोड़तोड़ के बल पर पास भी करा लिया गया जिसके विरोध में असम सहित पूर्वोत्तर के सभी राज्य जल रहे हैं. देश के अन्य हिस्सों में भी इसे लेकर जबरदस्त गुस्सा है.
नेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि 1947 का बंटवारा एक दुखद बंटवारा था. समाजवादी हमेशा इस बंटवारे को नकली बंटवारा कहते थे और कहते हैं. इस बंटवारे के जख्म को कम करने के लिए ही समाजवादी भारत – पाक – बंग्लादेश महासंघ की मांग करते थे और करते हैं. भारतीय जनसंघ के लोग हम समाजवादियों से एक कदम आगे बढ़कर अखण्ड भारत की मांग करते रहे हैं. यह बिल भरतीय जनसंघ के उस अखण्ड भारत के सपने पर भी हमला है जो भारतीय जनसंघ ने देखा था.