नहीं धरातल पर उतर पाई महात्वाकांक्षी योजनाएं
दुबहड़ (बलिया)। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) योजनान्तर्गत सांसद आदर्श ग्राम ओझवलिया को ओडीएफ करने का मिशन फिलहाल असफल होता दिख रहा है. गाँव के दो तिहाई लोग अभी भी खुलें में शौच कर रहें है. सुबह-शाम सड़क किनारें व खेतों में शौच करने वालों की लाइन लग जाती है. इनमें महिलाओं की संख्या पुरूषों की अपेक्षा कही ज्यादा दिखती है. सबसे ज्यादा खराब स्थिति प्राथमिक विद्यालय एवं आंगनबाड़ी केंद्र के पीछे की है. जहाँ लोगों द्वारा खुलें में शौच के कारण पढ़ने वाले बच्चों एवं शिक्षकों को मल के दुर्गन्ध से काफी परेशानी हो रही है. इससे बच्चों में संक्रामक बीमारियाँ फैलने का खतरा बढ़ गया है. इतना ही नहीं सांसद भरत सिंह द्वारा ‘हजारी सरोवर’ के नाम से अलंकृत तालाब जो कि विद्यालय के ठीक सामने स्थित है, उसमें गाँव के लोगों द्वारा घरों का कूड़ा-करकट फेंकने के वजह से गंदगी से पटा पड़ा है.
इस बाबत ग्राम प्रधान विनोद दुबे ने बताया कि पंचायती राज विभाग द्वारा सर्वे कराने के पश्चात निर्धारित लक्ष्य 526 के सापेक्ष केवल 361 शौचालय की धनराशि ही ग्राम पंचायत को उपलब्ध करायी गयी. जिसमें पूर्व प्रधान द्वारा 45 व मेरे द्वारा 316 शौचालय बनवाया जा चुका है. जबकि शेष शौचालय की धनराशि करीब चार माह से विभाग द्वारा लटका कर रखा गया है. जिसके कारण ग्राम पंचायत के तीन पुरवे त्रिलोकपुर मठिया, डमर छपरा व हरिछपरा में शौचालय का निर्माण नहीं हो सका. जिससे सैकड़ों परिवार खुलें में शौच करने को मजबूर हैं. किन्तु कई लोग शौचालय बनने के बावजूद जानबुझकर खुलें में शौच करते हैं. हालाँकि ग्राम स्वच्छता समिति द्वारा लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के साथ सार्वजनिक स्थानों पर डस्टबीन, स्वच्छता अभियान का पोस्टर आदि लगाया गया है .
उन्होंने बताया कि इसी तरह ‘ठोस व तरल अपशिष्ट प्रबन्धन’ (SLWM) योजनान्तर्गत गाँव में कूड़ा-कचरा निस्तारण का उचित प्रबन्ध एवं गाँव के सभी परिवारों को कूड़ादान के लिए हरे व नीले रंग की बाल्टी उपलब्ध कराने हेतु पंचायती राज विभाग द्वारा तीन माह पूर्व ही सर्वे कराया गया किन्तु अभी तक उस पर कोई कार्य शुरू नहीं हुआ. इस कारण लोगों में काफी आक्रोश व्याप्त है.
गौरतलब है कि यह गाँव, ‘गंगा किनारे’ विश्व बैंक,नीर-निर्मल, नक्सल प्रभावित, मिशन अन्त्योदय सहित सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत चयनित है. फिर भी अभी तक अपेक्षित बदलाव नहीं दिख रहा है जो कि आश्चर्यजनक है.