आठ महीने से बिना तनख्वाह काम कर रहे ब्लाक प्रोजक्ट मैनेजर

सेवा प्रदाता कम्पनी की मनमानी के आगे एमडी का आदेश भी हो रहा बेअसर
विभाग से पैसे मिलने के बावजूद नहीं दिया मानदेय
बलिया। कहते हैं कि जब किसी की रोजी-रोटी पर संकट आ जाता है तो आदमी दर-दर भटकने को मजबूर हो जाता है. कुछ ऐसा ही हाल है एनएचएम के तहत काम करने वाले ब्लॉक प्रोजेक्ट मैनेजरों का. एक सेवा प्रदाता कंपनी जनता सेवा शिक्षण संस्थान द्वारा नियुक्त ये ब्लॉक प्रोजेक्ट मैनेजर करीब आठ महीने से अपने काम की तनख्वाह का बाट खोज रहे हैं. इनका कहना है कि विभाग से पैसे मिलने के बावजूद सेवा प्रदाता कम्पनी कई महीनों से तनख्वाह नहीं दे रही है. पुरानी सरकार में सेवा प्रदाता कम्पनी की गहरी पैठ के चलते पीड़ित कर्मी आवाज उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए. लेकिन जैसे ही योगी सरकार बनी, कुछ बीपीएम की आशाएं जगी. फिर जिलाधिकारी से लेकर एनएचएम के एमडी व मुख्यमंत्री तक गुहार लगाई. मुख्यमंत्री दरबार में 10 अप्रैल को ही अपनी पीड़ा बताई, लेकिन महीने दिन होने को है और अब तक उनको कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है. हालांकि जिलाधिकारी ने जल्द ही राहत दिलाने का आश्वासन दिया है.
आखिर कैसे करेंगे बिना मानदेय काम
सवाल तो यह है कि आखिर इतने दिनों से बिना तनख्वाह के ये कर्मी किस तरह अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे होंगे. अब यह देखना रोचक होगा कि सेवा प्रदाता कंपनी के पैठ इस सरकार में भी काम आ जाती है या पीड़ित कर्मियों को राहत मिल जाती है.
मानदेय की मांग करने वाले बीपीएम को अब नुकसान का डर
अपने हक की लड़ाई लड़ने वाले इन संविदा कर्मियों को अब सेवा प्रदाता कम्पनी द्वारा नुकसान किए जाने का डर सताने लगा है. हालांकि ये इतना आसान नहीं होगा क्योंकि एनएचएम के एमडी के लेकर सीएमओ तक ने इस आशय का पत्र जारी कर दिया है कि ब्लॉक प्रोजेक्ट मैनेजरों के मामले में यथास्थिति बनाई रखी जाए. न तो किसी बीपीएम का ट्रांसफर किया जाए और न ही किसी नए की तैनाती की जाए. इस पत्र से जारी होने से निश्चित रूप से सभी बीपीएम ने राहत की सांस ली है. लेकिन तनख्वाह न मिलने से इनकी आर्थिक परेशानी जस की तस बनी हुई है.
एमडी के आदेश की भी हो रही अवहेलना
उधर, एनएचएम के एमडी के आदेश की अवहेलना करने में भी सेवा प्रदाता कंपनी पीछे नहीं रही. बता दें कि एमडी व कोर्ट ने निर्देश दिया कि किसी भी बीपीएम का न तो ट्रांसफर किया जाए और ना ही नई तैनाती या नियुक्ति. बावजूद इसके सेवा प्रदाता कंपनी ने बलिया जिले के पंद्रह ब्लॉक पीएचसी पर बिना सीएमओ व जिला  कार्यक्रम प्रबंधक के संज्ञान में लाए एक बीपीएम की तैनाती कर दी. यही नहीं, एमडी के आदेश के बाद भी सेवा प्रदाता कम्पनी मानदेय देने में अब भी आनाकानी कर रही. वहीं, सूत्रों की मानें तो अपने हक की आवाज उठाने में अग्रणी भूमिका निभाने वाले तीन ब्लॉक प्रोजेक्ट मैनेजरों  को हटाने के लिए सेवा प्रदाता कंपनी अपना हर प्रयास करने पर आतुर है. इससे उनमे घबड़ाहट बनी हुई है.
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