


आपराधिक मामलों में रिपोर्ट दर्ज होने के 24 घण्टे के अंदर दर्ज करना होगा बयान
इलाहाबाद। गम्भीर आपराधिक मामलों में लचर विवेचना के कारण अभियुक्तों के बरी होने को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गम्भीरता से लिया है. कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिए हैं कि विवेचना में आने वाली खामियों को दूर करे. इसमें जांच अधिकारी के साथ वरिष्ठ अफसरों को भी जवाबदेह बनाया गया है.
वरिष्ठ अधिकारी न सिर्फ निगरानी करेंगे, बल्कि कमी दिखने पर उसे दूर करने का निर्देश भी देंगे. यदि जांच अधिकारी ने जानबूझ कर लापरवाही की है तो वरिष्ठ अधिकारी उसके खिलाफ कार्रवाई भी कर सकते हैं. कोर्ट ने कहा है कि जब तक प्रदेश सरकार इस मामले पर कोई कानून नहीं बनाती, इस निर्देश को प्रभावी रखा जाए. इस निर्देश को जनता तक पहुंचाने के लिए लोकप्रिय संचार माध्यमों का भी सहारा लिया जाए.

कोर्ट के निर्देश के मुताबिक अब आपराधिक मामलों की रिपोर्ट दर्ज होने के 24 घण्टे के अंदर जांच अधिकारी को वादी,गवाहों के बयान दर्ज करने होंगे. ऐसा न करने पर स्पष्टीकरण देना पड़ेगा. जांच अधिकारी गवाहों को उसके बयान की कापी भी उपलब्ध कराएंगे. यदि गवाह उसमें कोई सुधार चाहता है तो उसे करने के बाद केस डायरी में दर्ज करना होगा. अक्सर देखने में आता है कि गवाह किन्हीं कारणों से अपने बयान से मुकर जाते हैं, इस हालात से बचने के लिए बयान ई-मेल, स्पीड पोस्ट, डाक से नोटरी हलफनामे के साथ लिया जाए. यदि जरूरत पड़ी तो जांच अधिकारी इसके बाद भी बयान दर्ज कर सकता है.