आखिर सरकारी मंसूबों पर पानी क्यों फेर रहे हैं परिषदीय स्कूल

बलिया लाइव ब्यूरो

रसड़ा (बलिया )। प्राथमिक विद्यालयो में दिन प्रतिदिन घटती बच्चों की  संख्या के बावजूद  सरकार चेत नहीं रही है. समय रहते सरकार नहीं चेती तो आने वाले समय में प्राथमिक विद्यालय शो पीस बन कर रह जाएंगे. ऐसा नहीं है कि इन प्राथमिक विद्यालयो में सरकार सुविधायें नहीं दे रही है. एक अच्छे कान्वेन्ट स्कूल में पढ़ने वाले छात्र से अधिक खर्च प्राथमिक विद्यालयो में पढ़ने वाले छात्र पर सरकार का खर्चा आता है.

सुविधाओं के मामलों में तो कोई जवाब नहीं

सरकार इन विद्यालयों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए अनेक सुविधायें प्रदान कर रही है. जैसे मिड-डे मील, छात्रवृति,  मुफ़्त किताब,  ड्रेस के आलावा अब तो सरकार ने मौसमी फल खिलाने का भी आदेश दे दिया है. स्कूलों को भी सुन्दर बनाकर हर सुविधाएं दे रखी है. इन प्राथमिक विद्यालयो में कान्वेन्ट स्कूलों से महंगे अध्यापक भी रखे गये हैं.

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फिर भी नतीजा नहीं निकल रहा स्कूल चलो रैली का

बच्चों एवम् अभिभावकों को आकर्षित करने के लिए बड़े जोर शोर से स्कूल चलो रैली भी निकाली जाती है. इन सब व्यवस्थाओं के  बावजूद छात्रो की हर वर्ष संख्या घटती ही जा रही है. कागजों में छात्रो की संख्या भले ही अधिक दर्शायी जा रही हो, परन्तु धरातल पर वास्तविकता कुछ और ही है. आज हर अभिभावक की सोच हो गयी है कि अपने बच्चे को अच्छी तालीम दिलाई जाय.

गिरते स्तर के चलते साल दर साल घट रहे हैं शिक्षक

प्राथमिक विद्यालयों में हर सुविधा के बावजूद शिक्षा के गिरते स्तर के कारण छात्रों की संख्या हर वर्ष घटती जा रही है. शिक्षा का स्तर गिरने में विभाग की भूमिका को भी नकारा नहीं जा सकता है. विभाग द्वारा किसी अध्यापक को न पढ़ाने पर बहुत कम ही अध्यापकों को सजा दी गयी हो, परन्तु मिड-डे मील, छात्रवृति, ड्रेस, किताब वितरण धांधली में सजा मिलते देखा गया है.

देहात में भी कान्वेंट स्कूल खोलने की होड़

तो अध्यापकों का ध्यान भी शिक्षा के वजाय इन व्यवस्थाओं को ठीक करने  में ही लगा रहता है. यही कारण है की प्राथमिक विद्यालयो में छात्रो की सख्या घट रही है. वही कान्वेंट स्कूलों की खोलने की होड़ सी लग गयी है. क्षेत्र में कान्वेन्ट स्कूलों की भरमार हो गयी है. समय रहते सरकार नहीं चेती तो वो दिन दूर नहीं जब प्राथमिक विद्यालय शोपीस बन कर रह जाएंगे.

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