जयप्रकाशनगर (बलिया) । जेपी के गांव सिताबदियारा में गंगा और घाघरा दो नदियों का संगम है, किंतु छठ में व्रत धारियों को नहाने लायक घाट कहीं भी सही हाल में नहीं है. यहां विगत चार-पांच वर्षों में कटान ने हर घाट की दशा ही बिगड़ दी है.
छठ पर्व पर सिताबदियारा के हर घाटों की एक पड़ताल करने पर सिताबदियारा, इब्राहिमाबाद नौबरार में घाघरा का किनारा हो, या गंगा नदी का टीपूरी, बड़का बैजू टोला, संगम घाट, भवन टोला घाट हो सर्वत्र हालात एक समान है.
अभी के समय में यहां यूपी-बिहार दोनों सीमा की लगभग एक लाख की अबादी यहां रेगुलेटर घाट से लेकर गंगा और घाघरा के तट पर छठ व्रत करते हैं, किंतु हालात इस बार कहीं भी अच्छे नहीं हैं. नदी के अरार के बाद अथाह पानी है, जहां स्नान करना खतरे से खाली नहीं है. वैसे लोग खुद से श्रमदान कर घाट को कुछ बेहतर बनाने में लगे हैं, फिर भी स्थिति भवायह ही दिख रही है.
छठ पूजा के प्रमुख मान्य नियम
- पूजा प्रसाद मिट्टी के चुल्हे पर बनाए जाते हैं.
- प्रसाद बांस की टोकड़ी में ही रखे जाते हैं.
- पूजा के उपयोग की हर चीज नई होती है.
- नहाय-खाय से व्रती बिना लहसुन प्याज का भोजन करते है.
- खरना की रात्री में व्रती खीर-रोटी व केला से पूजन कर प्रसाद ग्रहण करते हैं.
- पूरे व्रत में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है.
- छठ पूजा में पंडित जी की कोई भूमिका नहीं होती.
- एक बार पूजन शुरू करने के बाद व्रती इसे प्रति वर्ष करते हैं.