80 विद्वानों को सम्मानित किया गया
समग्र संस्कृत विकास समिति द्वारा सेमिनार आयोजित, संस्कृत, दर्शनशास्त्र, पाली, प्राकृत, अर्थशास्त्र व अंग्रेजी साहित्य में राष्ट्रीय स्तर के विद्वानों का किया गया सम्मान
पटना. बिहार इंडस्ट्रीयल एसोसियेशन सभागार में समग्र संस्कृत विकास समिति द्वारा “भारतीय राष्ट्रीयता तथा अस्मिता के अग्रदूत एवम महान नीतिज्ञ चाणक्य के विचारों का दार्शनिक अध्ययन” विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया. बीआईए सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में संस्कृत, दर्शनशास्त्र,पाली,प्राकृत,अर्थशास्त्र व अंग्रेजी साहित्य में राष्ट्रीय स्तर के विद्वानों मनीषियों व संस्कृतानुरागियो का सम्मान भी किया गया. उक्त मौके पर विधानपार्षद नवल किशोर यादव पर भारतीय समकालीन विचारों के विभन्न आयाम पुस्तक का विमोचन भी किया गया.
समग्र विकास समिति के संयोजक डॉ. मिथिलेश कुमार तिवारी ने आगत अतिथियों का स्वागत किया. अपने स्वागत भाषण में डॉ मिथिलेश तिवारी ने कहा विगत 12 वर्षों से हर वर्ष इस कार्यक्रम का सफल आयोजन किया जा रहा है. संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है लेकिन आज ये विलुप्त होने के कगार पर है कार्यक्रम का उद्देश्य इस भाषा को जन जन तक पहुचाना है।
आगत अतिथियों में उद्घाटनकर्ता डॉ. प्रो. आर. के. सिंह कुलपति पाटलिपुत्रा विश्विद्यालय, पटना ने कहा कि पाटलिपुत्रा विश्विद्यालय, पटना में संस्कृत के विकास से सम्बंधित जो भी उचित होगा मैं अवश्य करूँगा. संस्कृत महज एक भाषा नही है ये सम्पूर्ण जीवन है, यह विज्ञान है और सम्पूर्ण दर्शन भी है. संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है. यह माँ के तुल्य है
मुख्य वक्ता प्रो. राजेश कुमार सिंह ने चाणक्य के विचारों पर विस्तृत प्रकाश डाला. सान्निध्य भाषण में प्रो. आर. सी. सिन्हा पूर्व अध्यक्ष ICPR ने संस्कृत को दर्शन की जननी कहा, विशिष्ट अतिथि प्रो. नवल किशोर यादव ने अपने उद्बोधन में कहा कि वेद को पढ़े बिना नागरिक को भारतीय संस्कृति का ज्ञान नहीं हो सकता है. पुस्तक जिसका आज विमोचन किया गया है उससे मैं अभिभूत हूँ.
महान समाज सेवी श्री ललन सिंह ने कहा कि मैं अपने गाँव में संस्कृत के विकास के लिए एक संस्कृत महाविद्यालय खोलने का विचार कर रहा हूँ.
श्री आर. एन. सिंह संस्कृत में लिखित नीतिशास्त्र एवं धर्मशास्त्र की उपयोगिता पर प्रकाश डाला. श्री शिवाकांत तिवारी, राष्ट्रीय सचिव, भारत तिब्बत सहयोग मंच ने चाणक्य के जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला.
डॉ. अविनाश कुमार गेस्ट्रोलोजिस्ट ने संस्कृत में लिखित प्राचीन शल्य चिकित्सा पर विस्तृत प्रकाश डाला.
डॉ. मनोज झा प्राचार्य, राजकीय संस्कृत महाविद्यालय ने कहा कि संस्कृत के कारण ही भारत विश्व गुरु बना और आज इसकी अवहेलना हो रही है.
धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष राजनीतिशास्त्र डॉ. ज्योति शंकर सिंह के द्वारा किया गया. इस समारोह में डॉ. सुबोध कुमार सिंह, डॉ. विनय तिवारी, डॉ. संजय कुमार सिंह , शैलेश कुमार त्रिपाठी , सुधांशु रंजन , डॉ. गौतम जितेन्द्र एवं अन्य अस्सी विद्वानों को सम्मानित किया गया .
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सर्वेश कश्यप की रिपोर्ट
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