गांव-जवार के हाल ठीके बा, एने दू बेर आन्हीं-पानी आइल हा, कई ठांवा पथरो परल बा

डिजिटल इंडिया में मोबाइल क्रांति के चलते चिट्ठी-पतरी गुजरल जमाना के बात बा. बहरवासु-कमासुतों से संपर्क के कौनो जमाना में चिट्ठिये माध्यम रहे. कौनो दौर में चतुरी चाचा के चिट्ठी पूर्वांचल में खोज खोज के अखबार में पढल जाए. प्रस्तुत बा मलिकाइन के पाती…. एकर लेखक ओमप्रकाश अश्क देश के जानल मानल पत्रकार हईं. छपरा के मूल निवासी हईं. जनसत्ता, प्रभात खबर अउर हिंदुस्तान जइसन बड़ अखबारन के उहांके संपादक रह चुकल बानी.

मलिकाइन के पाती-1

पावं लागीं मलिकार! रउरा त एकदमे गुलर के फूल हो गइल बानी. ना कवनो पाती आ न कवनो सनेशा. पइसवा बैरी त रउरा के परदेसी बनाइए दिहलस, राउर पातीए पढ़ के संतोष क लीले, बाकिर जब उहो ढेर दिन हो जाला त मन मछरी अइसन मछिआये लागेला. अउरी कुछ होखे भा ना, बाकिर पाती पठावल मत छोड़ेब.
गांव-जवार के हाल ठीके बा. एने दू बेर आन्हीं-पानी आइल हा. कई ठांवा पथरो परल बा. पांड़े बाबा भोरहियां खबर कागज पढ़ के सुनावत रहवीं लोग के कि कहवां-कहवां का नोकसान भइल बा. दस आदमी के जानो चल गइल बा. गोंयड़ा के गेहूं कटाइल बा. काल्ह सोचले रहनी दंवा देबे के. हरिचरन के सनेशा भेजववले रहनी कि ए बाबू, तनी थरेसरवा ले अइह. सब पलान पर पानी फेर गइल ई आन्हीं-पानी.
एगो बात त रउरा ना मालूम होई मलिकार, मामा के मउसी के बड़की बेटिया फउज में बहाल हो गइल. मामी बतावत रहली कि फूलन देवी अइसन ऊ दुशमन पर दे दनादन बंदूक चलावे के टरेनिंग ले तिया. ई मामा के ओही मउसी के बेटी ह, जवना के बाप दारू पीयल ना छोड़ले त ऊ उनकरे के पुलिस बोला के पकड़वा दिहलस. ऊ अपना मतारियो के ना सुनलस. पियकड़ई में ओकर बाप धूरे धूर बेच दिहले. खाली घड़ारी बांचल बा. तबे बुझा गइल रहे कि ई दोसरा माटी-मिजाज के बिया. चलीं, अब ओकर घर संवर जाई. मामा बतावत रहले कि जेल से अइला के बाद बापो बदल गइल बाड़े. दारू-ताड़ी त छूटिये गइल, घरो में शांति बा. हमरा त बुझाता मलिकार, नीतीश ई एगो सब से बड़ आ नीक काम कइले. भगवान उन कर भला करस.
हमहूं कवन पुरान लेके बइठ गइनी. आपन कहे-सुने के जगहा दोसर बतकही में अझुरा गइनी. लगन-पताई के दिन बा. नेवता-हकारी में कुछ खरचा बढ़ी. एह महीना दस-पांच बेसिये भेजब रउरा. नान्ह-बार ठीक बाड़े सन.
राउरे,
मलिकाइन

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