सिकन्दरपुर (बलिया)। पश्चात्य संस्कृति के प्रभाव ने 21 वीं सदी में भारतीय संस्कृति को काफी क्षति पहुंचाया है. भारतीय संस्कृति को बचाने व भावी पीढ़ी को सांस्कृतिक व नैतिक मूल्यों से जोड़ने में भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा एवं गायत्री परिवार का योगदान मील का पत्थर साबित होगा. यह विचार है भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के संयोजक ई. पंडित देवेंद्र नाथ उपाध्याय का.
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वह मिडिल स्कूल के सभागार में गायत्री शक्तिपीठ बलिया के तत्वावधान में आयोजित शिक्षक सम्मान व पुरस्कार वितरण समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे. समारोह में उन्होंने परीक्षा में सहयोग देने वाले करीब चार दर्जन शिक्षकों को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया. वहीं गायत्री शक्तिपीठ के प्रतिनिधि रविंद्र नाथ श्रीवास्तव ने परीक्षा में जिला स्तर पर प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को मेडल व प्रशस्ति पत्र प्रदान कर उनका उत्साहवर्धन किया.
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पुरस्कृत होने वाले छात्र छात्राओं में कुमारी श्वेता पासवान, आकाश राजभर, रोहित कुमार, भृसभ बरनवाल, पप्पू यादव, अनुज कुमार, मधु सिंह, निकिता पाठक, रानी सिंह, रुचि यादव, अदिति, अनुजा, राकेश भारद्वाज, प्रियंका वर्मा, अफसाना खातून, ज्योति जायसवाल, रितु, इरफान हैं. विशिष्ट अतिथि अखिलेश कुमार राय ने कहा कि यदि मानव महामानव बन जाए तो समाज बदल जाएगा. राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, संतोष शर्मा आदि ने भी विचार रखा. भगवान दास, डॉ. केशव प्रसाद, लालबाबू, रामाश्रय यादव, राजेंद्र मिश्र, डॉ.धीरेंद्र कुमार, विजेंद्र जी, डॉ. मुसाफिर चौहान आदि मौजूद थे. अध्यक्षता व संचालन डॉ अशोक कुमार गुप्ता ने किया.