लोहिया वाहिनी जिलाध्यक्ष ने खड़े किए सवाल
बैरिया (बलिया)। समाजवादी पार्टी लोहिया वाहिनी के जिलाध्यक्ष दीवान सिंह ने रागिनी दुबे प्रकरण पर सत्ताधारी पार्टी के नेताओं के क्रियाकलापों पर तंज किया है. कहा है कि इसी जनपद में दिल्ली में हुए निर्भया प्रकरण के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्भया के गांव आने पर धरना, प्रदर्शन, बयानबाजी और तांडव करते हुए तमाम मांग रखनेवाले तत्कालीन भाजपा विधायक और वर्तमान मंत्री मौजूदा समय में रागिनी दुबे प्रकरण पर थिरक भी नहीं रहे हैं. बल्कि कथित पशुपालक को छुड़ाने के लिए नरही थाने पर धरना प्रदर्शन के दौरान गोली लगने पर अपने घायल मृतक पार्टी सदस्य को छोड़कर मैदान से भाग जाने वाले आज के मंत्री जी रागिनी प्रकरण के दौरान उस साथी का स्मारक बनवाने में व्यस्त रहें और केंद्रीय मंत्री को भी बुलाया.
दीवान सिंह का कहना है कि रागिनी दुबे प्रकरण में पीड़ित परिवार को सांत्वना देने पहुंचे भाजपा के मंत्री किसी तरह के सहयोग को बड़े ही सलीके से टाल जाते हैं. निर्भया प्रकरण में पीड़ित परिवार को आर्थिक सहयोग, गांव में अस्पताल गांव तक पहुंचने के लिए सड़क, गांव में विद्यालय तथा पीड़ित परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की गई थी. तब की सरकार ने यह सब दिया भी. स्व. विनोद राय के परिवार को भी मिला. यह तब के सरकार की उदारता और राज्य के प्रति जिम्मेदारी के बोध का परिणाम था. लेकिन तब के समय में इसी जिले में यह सब मांग करते हुये हाय हाय करने वाले नेता आज चुप क्यों हैं ?
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रागिनी दुबे हत्याकांड में आरोपी को पकड़ने पर पुलिस को एक विधायक सम्मानित करते हैं. जो पुलिस जो 200 किमी दूर जाकर आठ घंटे के अन्दर आरोपी की गिरफ्तारी करती है, उसी के नाक के नीचे आरोपी टहलते हुए जाकर न्यायालय में समर्पण करते हैं, यह आपके संरक्षण की ओर इशारा नहीं तो फिर क्या है. गजब तो यह है कि एक विधायक पुलिस अधीक्षक के स्थानान्तरण की मांग करता है, दूसरा सम्मानित करता है. क्या बलिया की जनता समझ नहीं रही है.
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गोरखपुर में बच्चों की मौत पर भाजपा मंत्री और नेताओं के आ रहे बयान क्या लोग समझ नहीं रहे हैं ? किसी के दोष से बराबरी कर लेने या तुलना करने से आपका पाप व दोष न स्वच्छ, पवित्र हो जाता हो तो तुलना करते रहिए. बेहतर परिणाम के लिए ही आपको सत्ता मिली है. गोरखपुर में चिकित्सकीय उपकरण के अभाव में जिन मृत बच्चों पर स्वास्थ्य मंत्री का बचकाना टिप्पणी आया यह देश के आम जनमानस के संवेदना से खिलवाड़ है.
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जनपद बलिया में रागिनी दुबे की निर्मम हत्या पर भी सरकार की चुप्पी जनपद के जनप्रतिनिधियों की उपयोगिता भी दर्शाता है. इसी घटना के बाद जनपद में एक और घटना हो जाती है. एक बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म करने के बाद उसे गोली मार दी जाती है और प्रशासन लीपापोती करने में जिला अस्पताल से पटना के लिये रेफर करवा देता है. और चार घण्टे तक मीडिया से मिलने तक नहीं दी जाती है. आज वर्तमान सरकार में स्वतंत्रत प्रभारी मंत्री है. उनकी आत्मा आज संवेदनहीन क्यों हो गयी है. सरकार के सामने आज रागिनी दुबे के परिजनों के लिए मुआवजा, नौकरी, स्मृति में योजनाओं के सहयोग के लिए क्यों दायित्वहीन हो गये हैं.
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इन्हीं के द्वारा कथित गो तस्कर को छुड़ाने के लिए थाने पर धरना में विनोद राय जी की गोली लगने से हत्या हो जाती है और मान्यवर वहॉ से धीरे से भाग निकलते है. उसी विनोद राय जी के परिजनों को पूर्ववर्ती सरकार के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी मुआवजा व परिवार के सदस्य को नौकरी देने का काम करती है. और मंत्री जी अपनी प्रायश्चित करने के लिए प्रतिमा लगा देते है. धन्य है सरकार और धन्य है जनप्रतिनिधि इससे समाज में कौन सा नजीर पेश करना चाहते हैं. आप अपने स्वच्छ मानसिकता का परिचय दें और रागिनी दुबे के परिजनों को न्याय, सुरक्षा, मुआवजा दिलवायें व उत्तरदायित्व की पूर्ति करें.