​महिला लेखपाल की तहरीर छह बार बदलवाया थाने का दिवान

एफआईआर के बदले एनसीआर दर्ज किया, जांच में पहुंचे एडीएम

बैरिया (बलिया)। महिला लेखपाल ज्योति गुप्ता की एफआईआर दर्ज करने के लिए तहरीर छह बार बदलवाया बैरिया थाने का दीवान और एफआईआर के बदले एनसीआर दर्ज कर दीवान ने महिला लेखपाल को थाने से चलता कर दिया. जबकि आरोपी महिला को शांति भंग में एसडीएम न्यायालय में चालान करने की बात कही. इसकी शिकायत महिला लेखपाल ने जिलाधिकारी सुरेन्द्र विक्रम सिंह से की. जिलाधिकारी के निर्देश पर गुरुवार को इस प्रकरण की जांच करने अपर जिलाधिकारी मनोज सिंघल बैरिया थाने पर पहुंचे.

बैरिया तहसील के मानगढ़ में तैनात लेखपाल ज्योति गुप्ता का आरोप है कि बुधवार की शाम उसके चक गिरधर स्थित घर में घुसकर गाँव की ही महिलाओं ने उसके साथ  मारपीट की. जख्मी महिला लेखपाल थाने पहुंचकर घर में घुसकर मारने पीटने, सरकारी कागजात फाड़ने का आरोप लगाते हुए बैरिया थाने में एफआईआर दर्ज करने की तहरीर दी. आरोप लगाया है कि ड्यूटी पर तैनात दीवान ने यह कहकर एफआईआर करने से मना किया कि यह तहरीर ठीक नही है. दूसरा तहरीर लिखो. इस तरह छह बार तहरीर लौटाया. सातवीं बार स्वयं बोल कर तहरीर लिखवाया और एफआईआर के बदले एनसीआर दर्ज कर  थाने से चलता कर दिया.

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इसकी शिकायत महिला लेखपाल ज्योति गुप्ता ने जिलाधिकारी से फोन पर की. जिलाधिकारी ने गुरुवार को इस प्रकरण की जांच के लिए अपर जिलाधिकारी मनोज सिंघल को बैरिया थाने भेजा. एसडीएम की अनुपस्थिति में बैरिया के तहसीलदार मिश्री सिंह चौहान के साथ अपर जिलाधिकारी  बैरिया थाने पहुंचे.

अपरजिलाधिकारी ने जब दीवान से पूछा कि आपने क्यों तहरीर बदलवाया? तो दीवान का कहना था कि लेखपाल साहिबा को लिखने नहीं आ रहा था. इसलिए मैंने दूसरा तहरीर लिखवा दिया. महिला लेखपाल ने सभी तहरीर एडीएम के सामने रख दिया. एडीएम ने महिला लेखपाल का बयान लेने के बाद तहरीर व दीवान द्वारा दर्ज की गई एनसीआर की प्रति को लेकर रिपोर्ट जिलाधिकारी को प्रेषित कर दिया.

स्थानीय लोगों का कहना है कि तीन साल से भी अधिक समय से उक्त दीवान अक्सर शिकायत कर्ताओं के साथ मनमानी करता रहा है और तहरीर बदलवाकर एफआईआर के बदले एनसीआर दर्ज करता है. एडीएम के सामने आरोपी सीमा देवी भी अपनी गांव की दर्जनों महिलाओं के साथ पहुंच एडीएम से लेखपाल पर ही मारपीट करने की आरोप लगाई.

महिला लेखपाल के घर में घुस कर उसके साथ मारपीट की चर्चा तहसील परिसर में दिन भर चली. कई अधिवक्ताओं का कहना था कि थाने पर पहुँचने वाले पीड़ितों को तो मुंशी दीवान यह कह कर टालते हैं कि दरोगाजी आएंगे तब दर्ज होगा. दरोगा के निर्देशानुसार ही प्राथमिकी लिखवाई जाती है. 99 प्रतिशत प्राथमिकी तो पुलिस वाले अपने हिसाब से बोलकर ही लिखवाते है. यहाँ अकेले दीवान ही नहीं, थानेदार पर भी कार्रवाई होनी चाहिए.

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