भईया, मुख्यमंत्री तौ अमित शाहै होइहैं

मोदी जी करिहै धमाका, उहै नाम सामने आई जेका केउ न सुने होइ

आलोक श्रीवास्तव

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का परिणाम 11 मार्च को ही आ गया था. भाजपा गठबंधन ने अप्रत्याशित जीत दर्ज करते हुए 403 सीटों में से 325 सीटों पर कब्जा कर लिया है. भाजपा ने 312, अपना दल ने 9 और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने 4 सीटों पर कब्जा जमाया है. अब सवाल सूबे के मुख्यमंत्री का है . रिजल्ट आने के एक हफ्ते बाद भी सीएम कौन बनेगा, सस्पेंस बना हुआ है. ट्रेन की बोगी हो या बस, दफ्तर हो या सार्वजनिक स्थल, घर हो या गांव का चौरा, बस चर्चा का एक ही विषय है, मुख्यमंत्री कौन ? दिल्ली से चली गाड़ी कब लखनऊ पहुंचेगी, समय ही बताएगा. लेकिन यह चर्चा तकनीक के युग में भी लोगों का मनोरंजन खूब कर रही है.

इलाहाबाद के नारीबारी चौराहे पर चाय की दुकान और वहां था कुछ लोगों का जमघट. बुजुर्ग भी थे, युवा भी थे और किशोर भी मौजूद थे. किशोरों पर मोदी का जादू हावी था, वे मोदी का नाम आते ही ताली बजाने से चूकते नहीं थे. एक बुजुर्ग ने कहा-देखौ भाई मुख्यमंत्री तौ राजनाथ सिंह ही होइहैं. मुख्यमंत्री रहि चुका हैं. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्षऔ रहा हैं. प्रशासन चलावै के भरपूर अनुभव है. 2019 में लोकसभा के चुनावो है. एकरे खातिर कूटनीतिक आदमी चाही. अइसे में राजनाथ से बेहतर केउ न होइ. एतना सुनतै दूसरे ने तपाक से कहा- राजनाथ न बनिहै, कह चुका हैं, बकवास हैं. तीसरे ने कहा- मुख्यमंत्री मनोज सिन्हा होइहैं. साफसुथरा छवि है, पूर्वांचल के नेता हैं, पूर्वांचल कब्जे में तो प्रदेश कब्जे में. मोदी अउर संघ के चहेतउ हैं. चौथा बोला- मोदी के फैसला चउकावे वाला होइ. जइसे हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर, झारखंड में रघुबर दास. मुख्यमंत्री बने से पहिले केउ इनके जानत रहा. योगी आदित्य नाथ, दिनेश शर्मा, श्रीकांत शर्मा, सिद्धार्थ नाथ सिंह, स्वतंत्र देव सिंह, केशव मौर्या ई सब नाम सुनत रह, अचानक धमाका होइ.

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अचानक पांचवें ने धमाका कर ही दिया. बोला मुख्यमंत्री अमित शाह होइहैं. बच्चों ने ताली ठोकी और ठहाका लगा के हंसना शुरू कर दिया. सभी ने कहा- अब न बना तब बना, इनकर गंगा उलटै बहति ही. अमित शाह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, काहे मुख्यमंत्री बनिहे. जवाब मिला- केंद्र में भाजपा के शासन हैं, एसे अध्यक्ष के पूछौ है. अध्यक्ष कहै भरे के हैं, सब सत्ता मोदी जी के लगेन हैं. जउन मोदी जी चहिहैं उहै होइ. अध्यक्ष के नाते अमित शाह एक चपरासीऔ के ट्रांसफर नहीं कराई सकतें. मुख्यमंत्री के पास राज्य के सत्ता रहत ह. ओकरे पास आईएएस से लईके चपरासी तक के हटावई के पावर होत है. अध्यक्ष के पास का होत है ? मुख्यमंत्री राजा होत है. ओकर पोर्टफोलियो होत है.  उ जउन चाहे तउन करे. विपक्षी दल के अध्यक्ष होतें त केउ न पूछत. रिजल्ट आये एत्ता दिन होइ गवा, अउर मुख्यमंत्री के घोषणा अब तक नहीं भवा. ओकरे पीछे कारण इहै है. मुख्यमंत्री अमित शाह होवा चाहत हैं, एह पर अब तक सर्वसम्मति नहीं बना है. एही से देर होत है. गलचौरा में मौजूद लोगों ने तर्क को दाद दी और कहा- चल$ एक-दूई दिन में सब फरियाइन जाइ . तब तक दुकानदार ने कहा, रात होइ चुका है, अब हम  दुकान करब बंद. सब जने जा घरे ,अउर कर$ नए सीएम की घोषणा क इंतजार. सब लोग उठे और अपने-अपने घरों को चल दिए.

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