


बलिया लाइव संवाददाता
बलिया। जलस्तर में बढ़ोत्तरी की रफ्तार यदि यूं ही बनी रही तो गंगा जल्द ही लाल निशान को पार कर जाएगी. गंगा में बढ़ाव के चलते चौबेछपरा गांव के सामने धसका कटान भी शुरू हो चुका है. इसके भय से चौबेछपरा के लोग अपने ही हाथों न सिर्फ आशियानों पर हथौड़ा चला रहे है, बल्कि सुरक्षित ठौर की तलाश में भी जुटे हैं. लेकिन प्रशासन अब भी कुंभकर्णी नींद से नहीं जग सका है.
बचाव के नाम पर बोरिया भर कर होता है धन का बंदरबाट
प्रशासनिक उदासीनता की वजह से बाढ़ व कटान के मुंहाने पर खड़े लोग परेशान है, लेकिन करे क्या? उनके सामने कोई विकल्प भी नहीं है. बाढ़ व कटान रोकने का कोई ठोस पहल आज तक नहीं किया सका. इसके चलते एक-एक कर दर्जनों गांवों की जलसमाधि हो गयी. सम्बंधित गांव के लोग सड़क किनारे किसी तरह गुजारा कर रहे है. शासन की योजनाएं भी इनके लिए नसीब नहीं हो पा रही है. हां, इतना जरूर है कि डेंजर जोन के नाम से जाने जाने वाले पचरूखिया-मझौवा से लेकर इब्राहिमाबाद नौबरार तक बालू की बोरिया भर कर धन का वारा न्यारा किया जा रहा है.

गंगा ने ठेकेदारों के भी पेशानी पर छलकाया पसीना
गंगा में अचानक हो रही जलवृद्धि से बाढ़ विभाग के ठेकेदार भी चिंतित नजर आ रहे है, क्योंकि हाल ही में वे फ्लड फाइटिंग के नाम पर बालू भरी बोरियों से कटर बनाने का काम शुरू किए थे. गंगा के उफनाते लहरों के सामने उनका काम भी बन्द हो गया. सोमवार को केन्द्रीय जल आयोग गायघाट पर सुबह 8 बजे गंगा का जलस्तर 55. 420 मीटर रिकार्ड किया गया, लेकिन प्रतिघंटा 15 सेमी की रफ्तार से हो रहे बढ़ाव की वजह से शाम चार बजे जलस्तर 56. 540 मीटर पर पहुंच गया, जो खतरा बिन्दु से महज सवा मीटर नीचे है.