
बिल्थरारोड (बलिया)। यूपी विधानसभा चुनाव प्रचार में कोई अपनी जीत के लिए मुसलमानों को रिझा रहा है तो कोई ब्राह्मण-क्षत्रिय व दलित कार्ड खेल रहा है. जबकि अपनी जमा पूंजी लगाकर उम्मीदवारों को मजबूत करने वाले वैश्य समाज को हर राजनीतिक दल ने पूरी तरह से उपेक्षित कर रखा है. इससे पूरा वैश्य समाज नाराज है. उक्त बातें नगर पालिका चेयरमैन व अखिल भारतीय मद्धेशिया वैश्य सभा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य दिनेश गुप्ता ने कही.
उन्होंने अभामवैस के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सीपी गुप्ता के निर्देश पर क्षेत्र में वैश्य समाज को आबादी के हिसाब से राजनीतिक भागादारी दिलाने की वकालत की. श्री गुप्त ने कहा है कि वैश्य समाज के पास संख्या बल व धन बल दोनों सबसे बड़ी व अहम पूंजी है और एकजुटता संग सक्रियता के साथ वैश्य समाज अपने मताधिकार का प्रयोग भी करता है. बावजूद इसके राजनीतिक दलों द्वारा वैश्य समाज को तवज्जों न दिया जाना पूरे समाज के साथ सबसे बड़ा धोखा है.
कहा कि सभी राजनीतिक दल वर्तमान चुनाव में टिकट बंटवारे में वैश्य समाज को भी भरपूर तवज्जों दे, नहीं तो राजनीतिक दलों को गंभीर परिणाम भुगतना होगा. वे ऐसे दलों का खुलकर एकजुटता के साथ विरोध तो करेंगे ही प्रदेश के हर सीट पर वैश्य समाज के उम्मीदवार भी उतारेंगे. ताकि वे अपनी राजनीतिक ताकत का एहसास करा सके. कहा कि यूपी में वैश्य समाज की बड़ी आबादी है. प्रदेश के दर्जनों जिलों में वैश्य समाज मजबूत स्थिति में है. लगभग चार दर्जन से अधिक सीटों पर समाज का प्रभाव है. 20 से अधिक विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां उनकी संख्या 20 से 40 हजार की है. बावजूद इसके जब टिकट देने की बारी आती है तो समाज के लोगों को नजरअंदाज कर दिया जाता है. हम राजनीतिक सौदेबाजी की बात नहीं करते, किंतु हम अपने समाज के सम्मान की बात कर रहे है.
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समाज के लोग अब तक राष्ट्र के निर्माण में अपनी अहम भागादारी देते रहे है और आगे भी देंगे. वैश्य समाज की राजनीतिक उपेक्षा को लेकर प्रधान सतीश गुप्ता, सभासद पुनीत गुप्ता, गणेश गुप्ता, मनोज कुमार प्यारे, मृत्युंजय गुप्ता, प्रदीप गुप्ता, मनोज गुप्ता, पप्पू गुप्ता, अरुण कुमार, अतुल मद्धेशिया, माखन मद्धेशिया, मोहन मद्धेशिया, अंजनी मद्धेशिया, अरविंद गुप्ता, डॉ. श्रीराम, ओमप्रकाश गुप्ता व सुभाषचंद्र गुप्त आदि ने भी नाराजगी जताई.