इन्होंने सात नहीं, कुल नौ फेरे लिए, आखिर क्यों

गाजीपुर। शादियाबाद थाना क्षेत्र का गुरैली गांव मंगलवार को एक ऐतिहासिक शादी का गवाह बना. इस शादी में एक तरह से रीति—रिवाजों को भी दरकिनार करने का काम किया गया. अमूमन हिंदू धर्म में विवाह के दौरान सात फेरे लिए जाते हैं, लेकिन इस शादी में कुल नौ फेरे लिए गए. इनमें से दो फेरे पर्यावरण संरक्षण व कन्या भ्रूण हत्या न करने के संकल्प के रूप में लिया गया. इस अनोखी पहल की चर्चा पूरे क्षेत्र में है.

भुड़कुड़ा निवासी रामायण यादव के पुत्र शिवचरन यादव का विवाह गुरैनी गांव निवासी अशोक यादव की पुत्री मीनू के साथ रात्रि के बजाय के दिन के उजाले में ही हुआ. शिवचरन यादव पेशे से शिक्षक हैं. विवाह पूरी तरह से सादगी संग संपन्न हुआ. ढोल मजीरा, डीजे, पटाखे व शमियाना तक देखने को नहीं मिला. एक तरह से शादी में फिजूलखर्ची पर रोक लगाने का सकारात्मक संदेश समाज को देने का काम किया गया. अग्नि को साक्षी मानकर वर—वधू ने केवल नौ फेरे लिए.

बेशक समाज से हटकर नजीर पेश करने के काम हर कोई को सामाजिक विरोध का भी सामना करना पड़ता है. ऐसा ही हुआ शिक्षक शिवचरन यादव के संग भी. उन्होंने जब अपने इस निर्णय के बारे में लोगों को बताया तो उन्हें काफी दबाव व विरोध का सामना करना पड़ा. लोगों ने परंपराओं का हवाला देते हुए उनके उपर दबाव बनाने की कोशिश करने लगे, लेकिन वर—वधू की सकारात्मक सोच के आगे दकियानूसी विचारधारा के लोगों को झुकना पड़ा. वैवाहिक कार्यक्रम में पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए प्लास्टिक की गिलास व प्लेट की जगह पर पत्तल तथा कुल्हड़ का प्रयोग ही किया गया. वर—वधु ने बताया कि वह पौधरोपण के साथ अपने दाम्पत्य जीवन की शुरुआत करेंगे. 19 जनवरी को रामवन भुड़कुड़ा में आयोजित होने वाले भोज में आम, नीम सहित कुल पांच पौधों का रोपण किया जायेगाय.

इस अनोखी शादी में बतौर साक्षी सामाजिक कार्यकर्ता ब्रजभूषण दूबे, गुल्लू सिंह यादव, प्रधानाचार्य विभुरंजन सहाय, गोपाल पांडेय, जवाहर सिंह यादव, संजय त्रिपाठी, जनार्दन यादव, सनाउल्लाह, आशु पांडेय, प्रफुल्ल प्रजापति, हनुमान बिंद आदि लोग शामिल हुए.

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