बैरिया (बलिया)। प्रात: 6 बजे से वायुमंडल में अचानक कुहरा छाने लगा और देखते देखते पूरा वायुमंडल कुहरा से आच्छादित हो गया. हम लोग बलिया वीर लोरिक स्टेडियम में प्रात: भ्रमण कर रहे थे. सभी की जुबान से अचानक एक ही शब्द निकला- अरे यह क्या हो रहा है ? लोगों की जिज्ञासा थी कि मैं कुछ बताऊं. मैं भी हतप्रभ था. विचार मंथन के बाद मुझे समझ आया कि यह स्थिति तो “धूम कुहरा” जैसी है. कारण कि इस कुहरे में एक अजीब सी गंध थी, जो तीखी थी या यों कहिए कि दमघोंटू थी. जहां तक मुझे समझ में आ रहा है कि यह स्थिति दीपावली में छोड़े गये पटाखों के धुंए के वजह से उत्पन्न हुई है. जिसमें मोटर वाहनों से निकले धुंए एवं उद्योगों से निकले धुंए का भी सहयोग हो सकता है. स्पष्ट है कि पटाखों से निकले धुंए एवं मोटर वाहनों तथा उद्योगों से निकले धुंए में विषैली गैसें-कार्बन डाई-आक्साइड, कार्बन मोनो-आक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड एवं मीथेन आदि शामिल रहती हैं. जो वायु के साथ मिलकर वायुमंडल में फैलकर दूर-दूर तक चली जाती हैं. निश्चित ही दीपावली बाद जो पछुवा एवं पूर्वी हवाएं क्रमश: प्रवाहित हुई हैं, उन हवाओं के साथ यह वायु प्रदूषण दूर-दूर तक फैलते हुए पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र तक पहुंच गया है. जो स्वास्थ्य के लिए बेहद ख़तरनाक साबित हो सकता है. खास तौर से श्वास, दमा , हृदय के रोगियों के लिए यह स्थिति खतरनाक हो सकती है. साथ ही साथ इससे आंखों में जलन भी हो सकती है. कुहरा अधिक घना होने पर दृश्यता भी प्रभावित होगी, जिससे सड़क दुर्घटना में भी वृद्धि हो सकती है. पश्चिमी देशों इंग्लैंड, रूस , अमेरिका आदि में धूम कुहरा से काफी जानें जा चुकी हैं.