जयप्रकाशनगर की बिजली नहीं सह पाती हवा और पानी

जयप्रकाशनगर (बलिया)। जयप्रकाशनगर में कभी भी सुचारू रूप से बिजली आपूर्ति नहीं हो पाती. हल्की बारिश हो या तेज हवा का झोंका, यह गायब हो जाती है. मानों यह बिजली हमेशा के लिए बुढापे की दलहीज पर कदम रख चुकी है. सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक व रात में भी इसी समय बिजली सप्लाई का रोस्टर लंबे समय से चल रहा है. इधर, नवरात्रि की शुरुआत से ही बिजली सेवा पूरी तरह धवस्त है. इसके पीछे मुख्य कारण है जर्जर तार.

इसे भी पढ़ें – घर से बाहर लगाए जाएंगे बिजली के मीटर

फाल्ट ठीक होने में दो तीन दिन तो लग ही जाते हैं

गर्मी का मौसम शुरू होते ही जब हवा का तेज बहना शुरू होता है या फिर बारिश की हल्‍की बुंदाबुंदी भी शुरू होती है तो यहां बिजली फाल्‍ट में आ जाती है. यह फाल्‍ट ठीक होते-होते दो या तीन दिन लग ही जाते हैं. यह सिलसिला पूरे गर्मी भर यूं ही चलता रहता है. अभी विगत पांच दिनों से एक बार फिर यहां लोग बिजली के लिए बेचैन हो उठे हैं. विगत पांच दिनों में यहां लगातार चार घंटे भी बिजली सप्‍लाई नहीं हो पाई है. हर आधे घंटे बाद यहां बिजली ट्रिप हो जाती है. जयप्रकाशनगर विद्युत सब स्‍टेशन से ही यूपी के अलावे बिहार के सिताबदियारा में भी बिजली की सप्‍लाई दी जाती है, किंतु इस लचर व्यवस्था से सभी लोग बूरी तरह त्रस्त हैं.

This Post is Sponsored By Memsaab & Zindagi LIVE         

इसे भी पढ़ें – बिजली बिल संग्रह केंद्र का लाभ उठाएं उपभोक्ता

बिजली, द्वाबांचल और राजनीति

द्धाबा यानि बैरिया विधान सभा में बिजली पर अब तक हुई राजनीति की भी एक कहानी मौजूद है. यह कहानी हमारे रहनुमाओं से शुरू होती है और संबंधित अधिकारियों के यहां से सफर करती हुई आम जनता तक पहुंच कर खत्म हो जाती है. इस कहानी को बहुत बारीकी से बताने की जरूरत भी नहीं है, वजह कि इससे आमजन पूरी तरह वाकिफ हैं. इस कहानी की शुरुआत बिजली के मामले में श्रेय लेने से होती है. अलग-अलग दलों के लोग द्धाबा में बिजली व्‍यवस्‍था में सुधार के लिए, दो साल के अंदर लगभग 10 बार आंदोलन किए. जनता ने भी सभी के आंदोलनों में दिल से सहयोग किया. हर आंदोलन में मौके पर संबंधित अधिकारी पहुंचे और यह भरोसा दिया कि फलां तारिख से द्धाबा में 16 घंटे बिजली की सप्‍लाई शुरू कर दी जाएगी, किंतु हालात नहीं बदल सके. अब तो सभी इस मामले में खुद को थके से महसूस कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें – बिन बिजली नगवा सून, बाकी जो है हइए है

RAVISHANKAR_MISHRAएक तरफ उमस भरी गर्मी, दूसरी तरफ बेहिसाब बिजली कटौती. लोगों का जीना मुहाल है. नवरात्रि के मौके पर भी 24 घंटे बिजली देने का ढिंढोरा पीटने वाली अखिलेश सरकार कोई रियायत देने के मूड में नहीं है. ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ देहात में ऐसा है, शहर और कस्बों की हालत और खराब है- रविशंकर मिश्र, शुभनथहीं, बैरिया, बलिया

इसे भी पढ़ें – रसड़ा में मकई से बनी है मां दुर्गा की मूरत

ट्रांसफारमर के लिए भी तीन हजार

इस क्षेत्र में यदि ट्रांसफारमर जल गया तो गांव वालों को चंदा काट कर तीन हजार रुपये जमा करना करना होता है. इसमें ट्रांसफारमर ले जाने और ले आने का किराया और उसे चालू करने का शुल्क भी शामिल है. इसके अलावा यदि ट्रंसफारमर पर कोई तार टूट गया है या कोई अन्य फाल्ट है तो भी लोगों को पांच सौ रुपये देने होते हैं, तब जाकर कहीं उन्‍हें बिजली मिल पाती है.

इसे भी पढ़ें – जयप्रकाशनगर में बीएसएनएल का नहीं है कोई माई-बाप

 

This Post is Sponsored By Memsaab & Zindagi LIVE