
बिल्थरारोड (बलिया) से अभयेश मिश्र
इस विधान सभा सीट के तीन दशक पूर्व के इतिहास को देखा जाए तो जिस पार्टी का विधायक जीतता है उसी की प्रदेश में सरकार बनती है. इस विधान सभा के पूर्व के इतिहास पर सन् 1989 से एक नजर डाली जाए तो इस विधानसभा चुनाव में शारदानन्द अंचल ने जनता दल के प्रत्याशी के रूप में दूसरी बार अपना परचम लहराया. और उत्तर प्रदेश में जनता दल की सरकार बनी.
सन् 1991 में भाजपा के हरिनारायण राजभर विधायक बने. प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी और हरिनारायण मन्त्री बने. सन् 1993 के विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर शारदानन्द अंचल विधायक बने और प्रदेश में सपा की सरकार बनी. शारदानन्द अंचल शिक्षा व पशुपालन मंत्री बने. सन् 1996 के विधान सभा चुनाव में भाजपा के हरिनारायण राजभर ने दूसरी बार विधायक बने. बीजेपी की सरकार बनी हरिनारायण मंत्री बने.
वर्ष 2002 के चुनाव में सपा प्रत्याशी के रूप में शारदानन्द अंचल सीयर विधान सभा के चौथी बार विधायक बने. शारदानन्द अंचल इस बार सहकारिता मन्त्री बने. सन् 2007 के चुनाव में पहली बार बसपा के केदारनाथ वर्मा निर्वाचित हुए और प्रदेश में बसपा की सरकार बनी. इसके बाद वर्ष 2012 के नये परिसीमन सीयर विधान सभा को सुरक्षित कर इसका नाम बिल्थरारोड विधान सभा कर दिया गया. इस चुनाव सपा के गोरख पासवान विधायक बने. और प्रदेश में सपा की सरकार बनी.
वर्ष 2017 के विधान सभा चुनाव के लिए सपा ने पुनः विधायक गोरख पासवान पर भरोसा जताते हुए इस चुनावी समर में प्रत्याशी बनाया है. वहीँ बसपा से पूर्व मंत्री घूरा राम, बीजेपी से धनन्जय कन्नौजिया व राष्ट्रीय लोकदल से धीरेन्द्र कुमार चन्द्रा सहित कुल 14 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे है. देखना यह है कि कौन इस विधान सभा पर इस बार राज करेगा और प्रदेश में किसकी सरकार बनती है.