
सुखपुरा(बलिया)। संत यतिनाथ मंदिर परिसर में चल रहे हनुमान जयंती समारोह के तीसरे दिन गुरुवार की रात काशी के जगद्गुरु रामानुजाचार्य मारुति किंकर जी महाराज ने भक्तों को रामकथा का रसपान कराते हुए भगवान राम के जन्म के उद्देश्य पर विस्तृत प्रकाश डाला.
कहा कि जिस प्रकार सूर्य से सूर्य की रोशनी अलग नहीं हो सकती, चन्द्रमा से चंद्रमा की किरणें अलग नहीं हो सकती, उसी प्रकार पुरुष से प्रकृति अलग नहीं हो सकती. कथा को विस्तार देते हुए उन्होंने कहा कि दशरथ वेद है, कौशल्या ज्ञान हैं और कैकेयी क्रिया, सुमित्रा भक्ति स्वरूपा है. मानव इन्हीं स्वरूपों की पूजन अर्चन कर परमधाम को प्राप्त होता है.
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कहा कि भगवान श्रीराम जग का मंगल करने के लिए प्रगट हुए. दानवो के वध के साथ दानवता मिटाना श्रीराम के अवतार का मूल उद्देश्य है. शुक्रवार के सुबह आचार्य रामान्द पान्डेय ने विधि विधान से हनुमान जी का पूजन अर्चन कराया. जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु जन उपस्थित हुए. गणेश प्रसाद गुप्ता, मेजर दिनेश सिंह, प्रवीण कुमार सिंह, सर्वदेव सिंह, श्रीराम स्वर्णकार, विमला गुप्ता, मिथिलेश सिंह, प्रेमशीला सिंह, निर्मला सिंह, शांति सिंह, जानकी देवी आदि मौजूद रहे. संचालन बृज मोहन प्रसाद अनारी ने किया.