
बलिया. पुरातन समय से दीपावली के छठवें दिन छठ पर्व की महत्वता को बड़ा महत्व दिया जाता है। हमारे देश के कोने कोने में इस पर्व को तो मनाया जाता है ही है। साथ ही साथ भारतीय मूल के भारतीय भी वहां पर इस व्रत को बहुत ही श्रद्धा पूर्वक करते हैं। छठ पर्व विशेषता बिहार में मनाया जाता था।
छठी माई और सूर्य देव की पूजा करने पर मनोकामना पूर्ण होने की वजह से अब यह व्रत यह उपवास उत्तर प्रदेश सहित भारत के हर राज्य में वृहद रूप से होता है।

जैसा कि आप इस वीडियो में देख रहे हैं गड़वार थाना क्षेत्र के दामोदरपुर गांव मैं यहां पोखरे के किनारे यहां महिलाएं सज धज कर निर्जल व्रत करते हुए सूर्य उपासना सहित सूर्य को अर्घ्य देकर उनका पूजन अर्चन करती हैं।
This Post is Sponsored By Memsaab & Zindagi LIVE
पहले दिन यह प्रथा डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। तत्पश्चात प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी महिलाएं और पूरा परिवार नदी पोखरा तालाब पर पहुंचकर सूर्य उदय की प्रतीक्षा करते हैं। सूर्योदय होते ही उन्हें अर्घ्य दिया जाता है।
गुरु पुरोहित या घर के ही पुरुषों द्वारा अर्क दिलवाने का काम किया जाता है। माता बहने पूजन अर्चन करती हैं और बच्चे बड़े हर्षोल्लास के साथ खेलकूद धमाचौकड़ी और पटाखों के साथ इस त्यौहार में चार चांद लगाते हैं।
ग्राम प्रधान पति मोबिन अंसारी द्वारा यहां साफ-सफाई और लाइट एवं टेंट तंबू लगवा कर छठ पर्व मनाने वालों के लिए इस व्रत को करने सुगम करने का काम किया पुलिस प्रशासन अपनी ड्यूटी पर चौकस नजर आई हमेशा है गश्त लगाती रही ।
(बलिया से ओम प्रकाश पाण्डेय की रिपोर्ट)