विद्यालय के प्रधानाचार्य ने छात्र छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा की डा. केदारनाथ बहुत ही सरल स्वाभाव और व्यक्तित्व के धनी थे। वे हमारे बलिया जिले के चकिया के रहने वाले थे। उनकी रचनाओं में खासकर रचना रही…
“विजली की तरह कभी मत गिरना
और कभी गिर भी पड़ो तो दूब की तरह उठ पड़ने को हमेशा तैयार रहना।”