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असीमीत जमीनी जानकारी, सपाट शैली व अलौकिक इल्म ने तब के ‘लोकगायक’ भिखारी ठाकुर को अंतर्राष्ट्रीय उंचाई दी. अति सामान्य इस व्यक्ति की लोक समझ, शोध प्रबंधों का साधन बन गई. भोजपुरी के प्रतीक भिखारी ठाकुर अपनी प्रासंगिक रचनाधर्मिता के कारण भारतीय लोक साहित्य में ही नहीं, सात समुंदर पार मारीशस, फीजी, सूरीनाम जैसे देशों में भी अत्यंत लोकप्रिय हैं.