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जिलाधिकारी व मुख्य चिकित्साधिकारी के तमाम कड़े निर्देशों के बाद भी स्वास्थ्य विभाग का गड़बड़झाला बेखौफ जारी है. आशाओं द्वारा अपने नकदी लाभ के लालच में गर्भवती महिलाओं को प्राइवेट नर्सिंग होम पर पहुंचाया जा रहा है. वहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के प्रसव केंद्रों पर आने वाली प्रसूताओं को एएनएम द्वारा प्रेरित करके प्राइवेट नर्सिंग होम धड़ल्ले से भेजा जा रहा है.
जन प्रतिनिधियों व उच्चाधिकारियों की उदासीनता के चलते प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोटवा के अस्तित्व पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं. यह कितने ही हैरत की बात है कि जब चारों तरफ विकास की होड़ लगी हुई है, वही बैरिया ब्लाक के लिए स्थापित इकलौते प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को लेकर लोग कहते हैं कि यह अस्पताल डेढ़ दशक पहले जैसा होना चाहिए. इसके प्रति न तो जनप्रतिनिधियों मे कोई गंभीरता है, और न ही विभागीय उच्चाधिकारियों में.
हम सब एक ऐसे विभाग से जुड़े हैं, जिसका ताल्लुक सीधे जीने मरने से है. हमारी थोड़ी सी लापरवाही मरीज की जान ले सकती है और हमारी कर्तव्य परायणता एवं जागरूकता जीवन बचा सकता है. उक्त बातें प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र वयना का औचक निरीक्षण करने के बाद मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. पीके सिंह ने मंगलवार को स्वास्थ्य केन्द्र के मातहतों को हिदायत देते हुए कही.
भीमपुरा थाना क्षेत्र के कान्धरापुर गांव में शुक्रवार को भूमि विवाद में हुए जानलेवा हमले में एक पत्रकार सहित चार लोग घायल हो गए. परिजन एवं आस पास के लोग सभी घायलों को पीएचसी नगरा पहुंचाए. वहां गम्भीर रूप से घायल पत्रकार एवं उनके पिता को चिकित्सकों ने सदर अस्पताल के लिए रेफर कर दिया. घटना के चलते गांव में तनाव की स्थिति है.
श्यामा आई केयर शिवपुर, वाराणसी एवं रोटरी क्लब वाराणसी (नॉर्थ) के संयुक्त तत्वावधान में फेफना विधायक उपेन्द्र तिवारी के सौजन्य से गड़वार ब्लाक कैम्पस में आयोजित निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर में रविवार सुबह से ही हजारों की संख्या मे भीड़ जुटनी शुरू हो गई. वाराणसी के जाने माने अस्पतालों एंव बीएचयू के चिकित्सकों के आने की सूचना पाकर आयोजकों के अनुमान से काफी अधिक भीड़ एकत्रिक हो गई.
गांव में ही लोगों को जीवन रक्षक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकार ने लगभग हर ब्लॉक में स्वास्थ्य सेंटरों का जाल सा बना रखा है. बावजूद इसके उच्च अधिकारियों की उदासीनता व अकर्मण्यता से अधिकांश स्वास्थ्य सेंटर बेमतलब साबित हो रहे हैं. गांव में स्वास्थ्य सेवाएं वेंटीलेटर पर चल रहे हैं. यह केंद्र चाहरदीवारी से अस्पताल होने का भ्रम तो बताते हैं किंतु स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर यहां कॉटन, दवा और इंजेक्शन मिलना तो दूर वहां के स्वीपर तक के दर्शन नहीं होते. जिस कारण अधिकांश स्वास्थ्य केंद्र अस्पताल के बजाय भूत बंगला के समान हो गए हैं.