उर्दू की चासनी ने उसे विश्व भाषा का दर्जा दिया – अफजाल अंसारी

गाजीपुर। जनपद के बारा गांव में बुधवार को एक शाम शहीदों के नाम आल इंडिया मुशायरा और कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ. जिसमें देश के प्रसिद्ध शायरों ने भाग लिया. इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप से पूर्व सांसद अफजाल अंसारी, समाजवादी पार्टी के प्रदेश महासचिव ओमप्रकाश सिंह और अतहर जमाल ने भाग लिया. इस मुशायरा की अध्यक्षता सरवत महमूद और संचालन के कर्तव्यों को नदीम फारूख ने अंजाम दिया.

जीवन साहस चैरिटेबल ट्रस्ट (पंजीकृत) मुंबई के इस आयोजन में मौजूद पूर्व सांसद अफजाल अंसारी ने अपने संबोधन में कहा कि उर्दू भाषा दुनिया की सबसे सुंदर भाषा है. यह भाषा भारत में पैदा जरूर हुई, लेकिन इसकी चासनी ने उसे विश्व भाषा का दर्जा दिला दिया है. बावजूद इसके उसे अपने ही देश में भेदभाव का शिकार बनाया जा रहा है. इसकी रक्षा की जिम्मेदारी देश के सभी विद्वानों की है. इस भाषा की रक्षा और इस भाषा के द्वारा देश के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए इस गांव के दो होनहार युवा पूर्व प्रधान नसन खां और सामाजिक कार्यकर्ता अशफाक ने अपनी सारी व्यस्तताओं को दरकिनार करते हुए जो बज़्म का एहतमाम किया है, इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं. उन्होंने उर्दू साहित्य से लगाव और प्यार के लिए पूरे गांव के लोगों का धन्यवाद किया. इस अवसर पर कार्यक्रम को ओमप्रकाश और अतहर जमाल ने भी संबोधित किया और बारा के लोगों की प्रशंसा की. इस आल इंडिया मुशायरा व कवि सम्मेलन में शरीक शायरों ने एक से बढ़कर एक कलाम पेश कर लोगों में इस कड़ाके की ठंड में भी गर्मी ला दिया. इस मुशायरा में हजारों की संख्या में लोग शामिल रहे.

कोशिश यह अधिक से न कुछ कम होती है/निर्माण देश में हैं हम से होती है – डॉ. कलीम कैसर गोरखपुर

मुझे प्रिय है सच बोलना सजा पाना/ यह अपराध वह है जिसे बार बार हमने किया –  जमजम राम नगरी

मैं सच कहता हूं, सच कहना मेरा उल्टा नहीं होगा/ करेला पक भी जाएगा तो वह मीठा नहीं होगा – महताब विशेषज्ञ

मुझको इंसान ही रहने दे फरिश्ते न बना / इतनी प्रशंसा भी मत कर कि पत्थर हो जाऊं – नदीम फारूख

यह मेरा देश है इस देश के हर आंगन में बीज नफरत किसी को नहीं बोने दूंगी – निकहत अमरोही

कभी नसीब कभी जीवन से हार गए / तेरे बिना तो हर किसी से हार गए – डॉ. नदीम शाद

हम अपने दुखों को खुशी कह रहे हैं / जो आप चाहते है वोही कह रहे हैं – सोहेल उस्मानी

हाल क्या दिल का है व्यक्त उज्ज्वल होगा / यानी भूमिका तो चरित्र उज्ज्वल होगा / रात दिन आप दीपकों को जलाते क्यों हो घर दीपकों से नहीं प्यार से रोशन होगा – सबीना अदीब

जीतने का यह हुनर भी आज़माना चाहिए / भाइयों से लड़ाई हो तो हार जाना चाहिए – सार कानपोरही

वह दीपक हूं आंधी में मुस्कुराऊंगा / मुझे सम्भाल के रखना में काम आऊंगा – इमरान प्रताप गढ़ी

अपरिपक्व है वह पागल सोच के डरती हूं /  वह मेरे प्यार से बदनाम न हो जाए / यह सोच के खिड़की पे आते हुए डरती हूं – विनम्र शना

कितनी चाहत है मुझे मेरे अलमबरदार / तूने मुझको बताया मज़ा आ गया / चंदन की ग़ज़ल को भरी बज़्म में / आप सब को सुनाया मज़ा आ गया – चांदनी ओस महिमा पूरी

यह नफरत की रेल हम चलने नहीं देंगे / यहां गोडसे वालों को हम पलने नहीं देंगे – सुफियान प्रताप गढ़ी

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