करवा चौथ की तैयारी में जुटीं सुहागिनें, बाजारों में रौनक

नगरा, बलिया. रविवार को करवा चौथ है और इसके लिए सुहागिन महिलाएं तैयारी में जुटी हुई हैं। उनके लिए करवा चौथ के त्योहार के विशेष महत्व है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत करती हैं. मान्यता है कि इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और खुशियां आती हैं.


कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है. इस वर्ष 24 अक्टूबर को महिलाएं निर्जला व्रत रहकर अखंड सौभाग्य और पति के साथ मधुर संबंध की कामना करेंगी. सुहाग के प्रतीक इस पर्व को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है. करवा चौथ के लिए सजे बाजार में महिलाओं की भीड़ उमड़ने लगी है. जिससे नगरा, मालीपुर, विशुनपुरा आदि बाजारों की रौनक बढ़ गई है.
सुहाग की सामग्री के साथ बाजार में पूजन सामग्री की खरीदारी की जा रही है. करवा चौथ व्रत के माध्यम से महिला पति के दीर्घायु के साथ सुख समृद्धि की कामना करती है. इस दिन महिलाएं श्रृंगार कर पति की आरती कर उन्हीं के हाथ से व्रत का पारण करती है.वहीं शाम के समय चंद्रमा की पूजा करने का भी विधान है. इस पूजा के लिए मिट्टी के करवे और चलनी का विशेष महत्व होता है. बाजार में बड़ी मात्रा में करवे बिकने के लिए आए हैं. करवे, चलनी के साथ साथ महिलाएं श्रृंगार के सामान की भी जमकर खरीदारी कर रही है. कपड़े के दुकानों पर भी महिलाएं साड़ी आदि की खरीदारी कर रही है.

करवा चौथ के व्रत और पूजा को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं.कहा जाता है कि जब सत्यवान की आत्मा को लेने के लिए यमराज धरती पर आए तो सत्यवान की पत्नी सावित्री ने उनसे अपने पति के प्राणों की भीख मांगी और निवेदन किया कि वह उसके सुहाग को न लेकर जाएं लेकिन यमराज ने उसकी बात नहीं मानी, जिसके बाद सावित्री ने अन्न जल त्याग दिया और अपने पति के शरीर के पास बैठकर विलाप करने लगी. पतिव्रता सावित्री के इस तरह विलाप करने से यमराज पिघल गए और उन्होंने सावित्री से कहा कि वह अपने पति सत्यवान के जीवन की बजाय कोई और वर मांग ले.सावित्री ने यमराज से कहा कि मुझे कई संतानों की मां बनने का वर दें और यमराज ने भी हां कह दिया. पतिव्रता होने के नाते सावित्री अपने पति सत्यवान के अतिरिक्त किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकती थी.जिसके बाद यमराज ने वचन में बंधने के कारण सावित्री को सत्यवान का जीवन सौंप दिया. कहा जाता है कि तभी से सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अपने अखंड सौभाग्य के लिए अन्न जल त्यागकर करवा चौथ के दिन व्रत करती हैं.


करवा चौथ से जुड़ी एक और किवदंती है द्रौपदी से जुड़ी हुई है. कहा जाता है कि जब अर्जुन नीलगिरी की पहाड़ियों में घोर तपस्या के लिए गए थे और बाकी चारों पांडवों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. द्रौपदी ने यह परेशानी भगवान श्रीकृष्ण को बताई और अपने पतियों के मान-सम्मान की रक्षा का उपाय पूछा.भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को करवा चौथ का व्रत रखने की सलाह दी, जिसके फलस्वरूप अर्जुन सकुशल वापस आए और बाकी पांडवों के सम्मान को भी कोई हानि नहीं हुई.

करवा चौथ को लेकर क्षेत्र के बाजारों में मिट्टी के बने करवा के अलावा चलनी आदि की दुकानें सज गई है. इस पूजा में करवा और चलनी का बहुत महत्व होता है.

(नगरा से संतोष द्विवेदी की रिपोर्ट)

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