पत्रकारों को कमरे में बंद कर देना लोकतंत्र का चीरहरण

लोक स्वातन्त्र्य संगठन पीयूसीएल इकाई की बैठक में किया बुलंद आवाज
बलिया। लोक स्वातन्त्र्य संगठन पीयूसीएल बलिया इकाई ने मुरादाबाद में मुख्यमंत्री के दौरे के दौरान जिला प्रशासन द्वारा पत्रकारों को कमरे में बंद कर देने की घटना को लोकतंत्र का चीरहरण बताया है. संगठन ने कहा है कि यह घटना शर्मनाक है और इसकी जितनी भी निंदा की जाये वह कम है.
संगठन ने कहा कि पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है. यह भी कहा जाता है कि जब लोकतंत्र के तीनों खम्भे न्यायपालिका, विधायिका, कार्य पालिका अपने कर्तव्य से विमुख होने लगते है तो पत्रकारिता ही उन्हें कतकर्तव्यबोध कराने कार्य करती है.

मुरादाबाद में पत्रकार योगी आदित्य नाथ को अस्पताल की बदहाली का चेहरा दिखाना चाहते थे और इसको लेकर उनसे सवाल भी पूछना चाहते थे. लेकिन प्रशासन इस बात से अच्छी तरह वाकिफ था. इसलिए उसने न केवल पत्रकारों को इमरजेंसी वार्ड में बंद किया. बल्कि उनकी निगरानी के लिए पुलिस को तैनात कर दिया.
संगठन की बैठक में इस घटना को लेकर निंदा प्रस्ताव रखा गया और कहा गया कि लोकतंत्र में घटी यह घटना आपातकाल से भी ज्यादा भयावह व दहशत पैदा करने वाली है. बैठक में एड. रणजीत सिंह, डा. अखिलेश सिन्हा, जेपी सिंह, सूर्यप्रकाश सिंह, पंकज राय, असगर अली, सुरेन्द्र सिंह, डा. हरिमोहन सिंह, इमाम हुसैन, विनय तिवारी, लक्ष्मण सिंह, बब्लू सिंह, दिग्विजय सिंह, ब्रजेश राय आदि शामिल रहे.

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