शिक्षामित्रों का धरना-प्रदर्शन छठवें दिन सोमवार को भी जारी रहा

बलिया से कृष्णकांत पाठक

अपनी मांगों को लेकर बीएसए कार्यालय पर शिक्षामित्रों का धरना-प्रदर्शन छठवें दिन सोमवार को भी जारी रहा. विभिन्न शिक्षक-कर्मचारी संगठनों से मिल रहे समर्थन से शिक्षामित्रों का आंदोलन निर्णायक रूप लेता जा रहा है. सोमवार को भी बीएसए कार्यालय का ताला नहीं खुल सका. इस दौरान विभिन्न कर्मचारी संगठन के नेताओं ने न सिर्फ शिक्षामित्रों के समर्थन में हुंकार भरा, बल्कि हर कदम पर साथ चलने का आह्वान भी किया.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सड़क पर उतरे शिक्षामित्रों को हर किसी का समर्थन मिल रहा है. 17 साल तक बेसिक शिक्षा को सींचने वाले शिक्षामित्रों के सामने अचानक उत्पन्न हुई विषम परिस्थिति में शिक्षक कर्मचारी समन्वय समिति एवं राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद समेत 54 संगठनों के अलावा प्रधान संघ भी समर्थन में उतर आया है. सोमवार को धरना सभा को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने दो टूक कहा कि शिक्षामित्रों के साथ अन्याय हुआ है, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. शिक्षामित्रों को न्याय दिलाने के लिए सरकार आवश्यक कदम उठाए. कहा कि कर्मचारियों में वह शक्ति है, जो किसी भी सरकार को उखाड़ सकती है.

केन्द्र हो या प्रदेश सरकार, कर्मचारियों ने समय-समय पर अपनी एकता के बदौलत जीत दर्ज की है. शिक्षामित्रों की 17 साल की मेहनत को यूं ही चकनाचूर नहीं किया जा सकता. कर्मचारी नेताओं ने अल्टीमेटम दिया कि जरूरत पड़ी तो शिक्षामित्रों के समर्थन में जिले के सभी कार्यालयों में ताला लटका दिया जायेगा. वक्ताओं ने कहा कि प्रदेश में हर रोज शिक्षामित्र मर रहे है, उनके सामने कोई विकल्प नहीं है. बावजूद इसके सरकार की चुप्पी समझ से परे है. कहा कि सरकार मुंह खोले, अन्यथा कर्मचारी मुंह खुलवाने का भी तरीका जानते है. ब्रजेश सिंह, अभय मिश्र, अविनाश उपाध्याय, वीरेन्द्र यादव, तेजप्रताप सिंह, अनिल सिंह, अनिल वर्मा, सुशील त्रिपाठी, राधेश्याम सिंह, अशोक यादव, सुनील सिंह, शिवकुमार मिश्र, अक्षय कुमार राय, सरल यादव, काशीनाथ यादव, पंकज सिंह, रणजीत सिंह, अजय सिंह, सुशील चौबे, घनश्याम चौबे, लल्लन यादव, अखिलेश पांडेय, वेदप्रकाश पांडेय, नमोनारायण सिंह, पूनम तिवारी, रंजना पांडेय, नीतू उपाध्याय, रामराज तिवारी, मंगला यादव, पवन सिंह इत्यादि ने सभा को सम्बोधित किया. अध्यक्षता पशुराम यादव व संचालन अनिल मिश्र ने किया.

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कर्मचारियों की रोजी-रोटी के साथ सरकार राजनीति न करें, अन्यथा कर्मचारी उसका माकूल जबाब देना जानते हैं. शिक्षामित्रों के सामने अचानक विषम परिस्थिति खड़ी है, ऐसे में सरकार को त्वरित निर्णय लेना चाहिए. ताकि किसी प्रकार की अप्रिय घटना न हों – सत्या सिंह (संयुक्त राज्य कर्मचारी परिषद की जिलाध्यक्ष) 

शिक्षा मित्रों के सपनों के साथ खिलवाड़ कत्तई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. जरूरत पड़ी तो शिक्षामित्रों के समर्थन में जनपद के एक-एक विभाग में ताले लटका दिये जाएंगे, जिसकी सभी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी. सरकार कर्मचारियों के सब्र की परीक्षा न लें -बलवंत सिंह (शिक्षक-कर्मचारी समन्वय समिति के अध्यक्ष)

यह लड़ाई शिक्षामित्रों की नहीं, बल्कि शिक्षक समुदाय की है. जब-जब संकट पड़ा है, शिक्षकों ने आंदोलन के बल पर जीत हासिल की है. जरूरत पड़ी तो शिक्षक बच्चों के साथ सड़कों पर होंगे. सभी स्कूलों में ताला लटका मिलेगा. शिक्षामित्रों की हर लड़ाई में हम साथ-साथ होंगे -जितेन्द्र सिंह (प्राशिसं के जिलाध्यक्ष )

(तस्वीर प्रतीकात्मक)

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