बलिया. विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर मंगलवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में गोष्ठी आयोजित की गयी.
गोष्ठी में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ नीरज कुमार पाण्डेय ने कहा कि विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य तंबाकू के खतरों और स्वास्थ्य पर इसके दुष्प्रभावों के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है, यही नहीं, इसके साथ-साथ निकोटीन व्यवसाय और तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों और मौतों को कम करना भी है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 1987 में एक प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसे सात अप्रैल, 1988 को ‘विश्व धूम्रपान निषेध दिवस’ के रूप में लागू किया गया है. इस अधिनियम के तहत लोगों को कम से कम 24 घंटे तक तंबाकू का उपयोग करने से रोकना था. बाद में 31 मई से विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. वर्ष 2008 में डबल्यूएचओ ने तंबाकू से संबंधित किसी भी विज्ञापन या प्रचार पर भी प्रतिबंध लगा दिया. इसका मकसद था कि विज्ञापन देखकर युवा धूम्रपान करने के लिए आकर्षित न हों.
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी/ नोडल अधिकारी डॉ वीरेन्द्र कुमार ने कहा कि सिगरेट या तंबाकू में निकोटीन नाम का एक पदार्थ पाया जाता है जो बेहद खतरनाक हो सकता है. इससे कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. उन्होंने बताया कि शरीर में तंबाकू निम्नलिखित अंगों को प्रभावित कर सकता है.
दरअसल, मस्तिष्क में जहरीला पदार्थ निकोटीन जब पहुंचता है तो हमें बेचैनी, चिड़चिड़ापन आदि महसूस हो सकता है. इससे दिल की बीमारी का खतरा चार गुना अधिक बढ़ जाता है.
तंबाकू फेफड़ों में एक परत बैठा सकता है जिससे महत्वपूर्ण गैस एक्सचेंज होने में दिक्कत होने लगती है. परिणाम स्वरूप ऑक्सीजन की कमी हो सकती है. इससे लंग्स व मुंह के कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है.
इससे शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है जिससे डायबिटीज जैसी बीमारी भी संभव है इसके धुएं में आर्सेनिक, फार्मलडिहाइड और अमोनिया जैसे हानिकारक रसायन पाए जाते हैं. जो ब्लड में मिश्रित होकर हमारी आंखों के नाजुक ऊतकों को नुकसान पहुंचा सकते हैं जिससे रोशनी तक जा सकती है. पुरुष या महिलाओं जो धूम्रपान का सेवन करते हैं उनमें डिमेंशिया या अल्जाइमर जैसे रोग हो सकते हैं, जिससे आपकी याददाश्त तक जा सकती है. इससे महिलाओं की प्रजनन क्षमता भी प्रभावित होती है यह दिल की धड़कन के साथ-साथ ब्लड प्रेशर को भी बढ़ा सकता है. तंबाकू के सेवन से लकवा, गठिया, फेफड़े के रोग समेत अन्य समस्याएं हो सकती हैं
इस गोष्ठी में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सुधीर कुमार तिवारी, वेक्टर बॉर्न के नोडल अधिकारी डॉ अभिषेक मिश्रा, जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव, प्रशासनिक अधिकारी योगेंद्र पाण्डेय आदि मौजूद रहे.
(बलिया से नवनीत मिश्रा की रिपोर्ट)