वाराणसी। साकेत नगर कॉलोनी के पास आज असि नदी की पुलिया पर मार्मिक स्लोगन लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं ने असि को बचाने का प्रधानमंत्री से अनुरोध किया. सामाजिक संस्था समग्र विकास इंडिया के तीन कार्यकर्ताओं ने सुबह 10 से 12 बजे तक सत्याग्रह कर कहा कि विकास और परिवर्तन का नारा देने वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री व देश के प्रधानमंत्री को वाराणसी की पवित्र असि नदी मरते हुए क्यों नहीं दिख रही है.
सामाजिक कार्यकर्ता ब्रज भूषण दुबे ने कहा कि उन सहित मित्रों द्वारा पांच वर्षों से वाराणसी की प्राण तत्व के रूप में चर्चित असि नदी को बचाने के लिए जल सत्याग्रह, धरना, पदयात्राएं एवं प्रधानमंत्री के पोर्टल एवं ट्विटर पर लगातार चित्र सहित भेजे जाने सहित प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव को दर्जनों मेल किए गए, किन्तु जिस प्रकार डीडीटी के छिडकाव का असर मच्छरों पर नहीं हो रहा है. उसी प्रकार सत्याग्रह व अन्य लोकतान्त्रिक तरीके इन जिम्मेदार लोगों पर बेअसर साबित हो रहे है.
52 तालाबों से होकर गुजरने वाली नदी अब जानी जाती है नाले के रूप में.
सामाजिक कार्यकर्ता प्रेम प्रकाश ने कहा कि आठ किलोमीटर की दूरी तय कर गंगा में समर्पित होने वाली असि नदी के रास्ते वाले लगभग सारे तालाब जिला प्रशासन व भूमाफियाओं की दुरभि संधि के चलते अब अटलिकाओं का रूप धारण कर चुके है, जिसके लिए नगर निगम, विकास प्राधिकरण के साथ साथ प्रदेश एवं केंद्र की सरकार एवं माननीयों ने कान व आंखें बंद कर रखा है.
सर्वोच्च न्यायालय के महत्वपूर्ण निर्णय का हो रहा उल्लंघन
सामाजिक कार्यकर्ता व शिक्षक शिवचरण यादव ने कहा कि हिंच लाल तिवारी बनाम कमला देवी अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश देते हुए जल स्रोतों को बचाने हेतु इतना तक कहा है कि यदि तालाब, नदी व अन्य जल स्रोतों पर निर्माण हुआ हो तो उसे 1952 के पूर्व की स्थिति में लाया जाए. आठ किलोमीटर कि नदी को कई जगह स्लैब डालकर ढक दिया गया है तथा नदी का अतिक्रमण कर मकान बनाने वालों में अधिकारी, नेता एवं भूमाफिया शामिल है. हम मामले को कोर्ट तक ले जायेंगे. कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता ब्रजभूषण दुबे, प्रेम प्रकाश, शिव चारण यादव के अलावा शिव रंजनी मिश्र, उज्जवल पाण्डेय एवं अन्य सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे.