सरयू ने उड़ाई नींद, 1998 को याद कर सिहर उठ रहे किसान

बांसडीह से रविशंकर पांडेय

एक तरफ कोरोना संकट की त्रासदी से लोग जूझ रहे हैं, तो दूसरी तरफ घाघरा (सरयू) नदी ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. लगातार हो रही बारिश की वजह से घाघरा नदी के जलस्तर में वृद्धि जारी है. वहीं सैकड़ों बीघा उपजाऊ जमीन घाघरा नदी समाहित हो चुकी है.

तुर्तीपार तीन तरफ से पानी से घिर गया है. टीएस बंधा और सोनौली- बलिया राजमार्ग से सटकर नदी का पानी बह रहा है. तटवर्ती क्षेत्रों के संपर्क मार्ग पानी में डूब गए हैं. पशुपालकों के समक्ष पशुओं के चारे की समस्या उत्पन्न हो गई है. साथ ही तटवर्ती कुछ क्षेत्रों में कटान हो रही है. उधर, सरयू का पानी सुरेमनपुर दियरांचल के सैकड़ों एकड़ खेत में खड़ी मक्के की फसल जलमग्न हो गई है. बकुल्हा से लेकर गोपालनगर तक तेजी से हो रहे कटान से अब तक एक हजार बीघे से अधिक उपजाऊ जमीन घाघरा में विलीन हो चुका है. उधर, रेवती में घाघरा का पानी टीएस बंधे के करीब पहुंच गया है. सियार और चूहे की मांदों से टीएस बंधा जर्जर हो गया है. अगर टीएस बंधा टूटा तो आसपास के क्षेत्रों में तबाही मच जाएगी. बंधे के डेंजर जोन से सटे तिलापुर के लोग बाढ़ की आशंका को लेकर चिंतित हैं.

बता दें कि बाँसडीह तहसील के क्षेत्र के उत्तरी छोर पर घाघरा नदी उफान पर चल रही है. जिले के दक्षिणी छोर पर गंगा नदी के जलस्तर में भी वृद्धि हो रही है. और पूर्वी छोर पर दोनों नदियां एक साथ मिल जाती हैं. यानि तीनों तरफ से बलिया जनपद नदियों से घिरा हुआ है. ऐसे में घाघरा नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया.

उपजाऊ जमीन तो घाघरा नदी निगल ही चुकी है. अब घरों की बारी है. लोग सहमे हुए हैं. लोगो का कहना है कि कही 1998 की स्थिति न आ जाए. उस समय घाघरा ने खूब तबाही मचाई थी. लोग डरे हैं. सहमे हुए हैं. कटान को रोकने के लिये शासन द्वारा समुचित व्यवस्था नहीं हो पाई है. ऐसा लग रहा है कि किसानों के जो बचे खुचे खेत हैं, उनको भी घाघरा ने अपने आगोश में ले लेगी.

बाढ़ खण्ड के मीटर गेज के अनुसार14 जुलाई (मंगलवार) की सुबह 8 बजे डीएसपी हेड पर 64.190 मापा गया, जबकि खतरा बिंदु 64.01 है, उच्चतम खतरा बिंदु 66.00 है. ऐसे में कटान से किसानों के खेत सैकड़ो बीघा रोज घाघरा नदी में विलीन हो रहे हैं. 56 गाँवो की लगभग 85,000 आबादी को घाघरा नदी ने अपने आगोश में लिया है.

मनियर के दियारा क्षेत्र के ककरघट्टा, रिगवन, छावनी, नवकागाँव, बिजलीपुर, कोटवा, मल्लाहि चक, चक्की दियर, टिकुलिया आदि गाँवों के किसानों के लगभग हजारों एकड़ खेत घाघरा में समाहित हो चुके हैं.

मंगलवार को मौके पर पहुँचे एस डीएम बाँसडीह दुष्यंत कुमार मौर्य, तहसीलदार गुलाब चन्द्रा, मनियर थानाध्यक्ष नागेश उपाध्याय ने पीड़ितों का हालचाल लिया. एसडीएम ने राहत दिलवाने की बात कही. अब देखने वाली बात होगी कि घाघरा नदी अपना रौद्र रूप कहीं 1998 की तरह न धारण कर ले.

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